राजस्थान में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस एक बार फिर आदिवासी विरासत के मुद्दे पर आमने-सामने आ गई हैं.
ये विवाद बीते दिनों सामने आईं राजस्थान के सरकारी स्कूलों से आदिवासी आंदोलनों के अध्याय हटाए जाने की खबरों से संबंधित है.
सरकार के इस फैसले से बहुत सी तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नेताओं की भूमिका और योगदान को कमतर आंकने की कोशिश की जा रही है. मानगढ़ धाम के अध्याय को हटाने का कदम सत्तारूढ़ दल की ओछी मानसिकता को दिखाता है.”
गहलोत ने कहा कि इससे पहले वीर कालीबाई भील से जुड़ा अध्याय भी हटा दिया गया था.
गहलोत ने ये भी कहा कि वे आदिवासी गौरव और उनके इतिहास को मिटाने में भाजपा को सफल नहीं होने देंगे.
लेकिन राज्य के शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने गुरुवार को इन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है.
मदन दिलावर ने आदिवासी आंदोलन, उनकी आराध्य देवी, मानगढ़ धाम और कालीबाई से जुड़े अध्यायों को हटाए जाने से इंकार कर दिया है.
उन्होंने कहा है कि राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् ने ऐसा कोई भी पाठ पाठ्यक्रम से नहीं हटाया है.
उन्होंने इसे कांग्रेस द्वारा फैलाया गया सबसे बड़ा झूठ करार दिया.
इस दौरान उनके हाथ में पाठ्यपुस्तक की एक प्रति भी थी. उन्होंने कहा कि वास्तव में कक्षा पाँचवीं की पर्यावरण विज्ञान की पुस्तक में मानगढ़ धाम के बारे में आसान भाषा और चित्रों के साथ और ज़्यादा विस्तारपूर्वक जानकारी जोड़ी गई है.
उन्होंने कहा कि इससे बच्चों को बेहतर तरीके से समझ आएगा.
दिलावर ने कांग्रेस पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया.
उन्होंने भाजपा सरकार की शिक्षा नीति के पुल बाँधते हुए और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस भाजपा के कार्यकाल में राज्य की शिक्षा नीति में हो रहे सुधारों से चिंतित है.
उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए, ऐसे नीच कृत्यों का संबल ले रहा है.
इसके साथ ही दिलावर ने उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें ये कहा गया था कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी कालीबाई के अध्याय को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
उन्होंने बताया कि इस विषय को कक्षा पाँचवीं की अंग्रेज़ी की कितीब से हटाकर इसे चित्रों और तस्वीरों के साथ कक्षा सातवीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में शिफ्ट कर दिया गया है. लेकिन कोई भी जानकारी हटाई नहीं गई है.
मदल दिलावर ने जो स्पष्टीकरण दिया है, टाइम्स ऑफ इंडिया ने खुद जांच कर उसे सही पाया है. वाकई में इन अध्यायों को हटाया नहीं गया है बल्कि दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है.