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राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर मणिपुर को ‘गृहयुद्ध’ की ओर धकेलने का आरोप लगाया

राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए मणिपुर कोई राज्य नहीं है. प्रधानमंत्री जी मणिपुर नहीं गए. मणिपुर को आपने हिंसा में जला दिया. आपने मणिपुर को गृहयुद्ध में जला दिया. मणिपुर पर आपको शर्म आनी चाहिए. न प्रधानमंत्री गए और न ही गृहमंत्री गए.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले भाषण में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर तीखा हमला किया.

इस दौरान राहुल ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर अपनी नीतियों और राजनीति के कारण मणिपुर (Manipur) को “गृह युद्ध” में धकेलने का आरोप लगाया.

कांग्रेस नेता ने जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राज्य का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की भी आलोचना की.

साथ ही राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में विपक्ष की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे मणिपुर में कुछ हुआ ही न हो.

उन्होंने कहा, “आपने मणिपुर को गृहयुद्ध में झोंक दिया है. मणिपुर को आपने, आपकी नीतियों और आपकी राजनीति ने जला दिया है.”

राहुल ने कहा कि पीएम मोदी ने मणिपुर के बारे में एक बार भी बात नहीं की और न ही वहां गए. सरकार राज्य की उपेक्षा कर रही है, जैसे कि वहां कोई गृहयुद्ध नहीं है, ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि यह भारत का हिस्सा नहीं है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि मणिपुर भारत का कोई राज्य नहीं है. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के लिए मणिपुर कोई राज्य नहीं है. हमने प्रधानमंत्री से वहां जाने का संदेश देने का आग्रह किया. लेकिन नहीं. आपको (प्रधानमंत्री से) कोई जवाब नहीं मिल सकता.”

गांधी ने पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं की दुर्दशा का भी जिक्र किया. सत्ता पक्ष की ओर से की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “आप अपने संगठन में महिलाओं को शामिल नहीं करते, लेकिन मैं उनके बारे में बोल सकता हूं.”

मणिपुर के लिए समय नहीं : मल्लिकार्जुन खरगे

राहुल के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संसद में मणिपुर की अनदेखी का मुद्दा उठाया.

अपने भाषण के दौरान खरगे ने कहा, “पीएम ने हाल ही में कहा था कि देश को ‘नारे नहीं, बल्कि ठोस बातें चाहिए’ लेकिन पिछले 10 सालों में उन्होंने एक के बाद एक नारे लगाए हैं — ‘अच्छे दिन आएंगे’, ‘मेक इन इंडिया’ से लेकर ‘बेटी बचाओ’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘400 पार’ तक. इस बीच, मणिपुर एक साल से अधिक समय से पीड़ित है. उन्होंने 14 देशों की यात्रा की और चुनावों के दौरान 200 से अधिक भाषण दिए फिर भी वे एक दिन भी मणिपुर नहीं गए. उन्हें केवल अपने कुछ करीबी पूंजीपतियों की परवाह है, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के जरिए उन्हें फंड दिया.”

बीरेन सरकार कागजी शेर – कांग्रेस नेता

वहीं मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र (Keisham Meghachandra) ने आरोप लगाया कि एन बीरेन सिंह सरकार एक ‘‘कागजी शेर’’ है और राज्य में अघोषित ‘‘राष्ट्रपति शासन’’ लागू है.

कीशम ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि एन बीरेन सिंह सरकार राज्य के इतिहास में सबसे ‘‘कमजोर’’ सरकार है.

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले माह जब मुख्यमंत्री के सुरक्षा काफिले पर हमला हुआ था तो राज्य सरकार उस पर कार्रवाई तक नहीं कर पाई थी. ऐसा लग रहा है कि राज्य में अघोषित राष्ट्रपति शासन लागू है और यह 99.9 प्रतिशत तक सही है. यही एकमात्र वजह है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 355 को औपचारिक रूप से लागू करने की घोषणा नहीं की है.’’

एमपीसीसी के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘एन बीरेन सिंह सरकार एक कागजी शेर है. यह सरकार मणिपुर के राजनीतिक इतिहास की सबसे कमजोर सरकार है… व्यवस्था और प्रशासन पूरी तरह से शक्तिहीन हो चुका है. कानून व्यवस्था ही नहीं, अन्य विभाग भी पूरी तरह विफल हैं.’’

उन्होंने आगे कहा कि हमने शुरुआत में दो-तीन महीने तक इंतजार किया ताकि सरकार मौजूदा स्थिति से निपट सके. अब चौदह माह हो गए हैं. पता नहीं, कितने महीने और इंतजार करना होगा?

साथ ही उन्होंने सोमवार को संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को धन्यवाद दिया.

मणिपुर पिछले साल मई से ही उबल रहा है. क्योंकि घाटी के प्रमुख मैतेई समुदाय (Meitei community) की अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) का दर्जा देने की मांग के विरोध में कुकी जनजातियों (Kuki tribals) द्वारा पहाड़ी जिलों में एक मार्च आयोजित किए जाने के बाद राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी.

(Photo Credit: ANI)

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