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झारखंड की बिरहोर लड़की रश्मि बनी पहली ग्रेजुएट, राष्ट्रपति भवन तक पहुँची कहानी

झारखंड सरकार आदिवासी बच्चों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाती है, जैसे कि छात्रवृत्ति, मुफ्त किताबें, छात्रावास और विशेष स्कूल.

झारखंड के रामगढ़ जिले की रहने वाली रश्मि बिरहोर अपनी बिरहोर जनजाति की पहली लड़की हैं, जिन्होंने स्नातक(Graduation) की पढ़ाई पूरी की है.

बिरहोर जनजाति भारत के सबसे पुराने आदिवासी समूहों में से एक है, जिन्हें विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में जाना जाता है.

इस समुदाय के लोगों की जीवनशैली सरल है, लेकिन उन्हें शिक्षा और आधुनिक सुविधाओं तक पहुँच बहुत कम मिल पाती है.

उनके माता-पिता, रामकुमार बिरहोर और सीता देवी, खेती-बाड़ी और मजदूरी करके घर चलाते हैं.

उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है. रश्मि के घर में बिजली नहीं थी, इसलिए रात को पढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता था. किताबें और पढ़ाई के साधन भी कम थे.

रश्मि को पढ़ाई के लिए गांव से लगभग दस किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ता था.

बारिश के मौसम में रास्ते बंद हो जाते थे, जिससे स्कूल जाना और भी मुश्किल हो जाता था.

साथ ही, गांव में कुछ लोग आदिवासी होने के कारण रश्मि और उसके परिवार को सामाजिक भेदभाव का भी सामना करना पड़ता था.

फिर भी रश्मि ने कभी हार नहीं मानी. उसने मन में ठाना कि वह पढ़ाई पूरी करके अपने परिवार और समुदाय का नाम रोशन करेगी.

झारखंड सरकार आदिवासी बच्चों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाती है, जैसे कि छात्रवृत्ति, मुफ्त किताबें, छात्रावास और विशेष स्कूल.

रश्मि बिरहोर ने भी इसी माहौल में बड़ी मेहनत से पढ़ाई की.

रश्मि ने डॉ. राम मनोहर लोहिया कॉलेज, रामगढ़ से स्नातक की डिग्री पूरी की. उनकी मेहनत और हिम्मत की खबर राज्य सरकार तक पहुँची.

इसके बाद यह खबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक भी पहुँची, जो खुद भी आदिवासी समुदाय से हैं.

राष्ट्रपति ने रश्मि को राष्ट्रपति भवन में बुलाया और व्यक्तिगत रूप से उनसे बातचीत की.

राष्ट्रपति ने कहा, “रश्मि जैसी बेटियाँ देश की असली ताकत हैं. तुम्हारी मेहनत ने यह दिखाया है कि अगर हिम्मत हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती. तुम्हें गर्व होना चाहिए.

रश्मि ने राष्ट्रपति से कहा कि वह चाहती हैं, कि उनके जैसे और आदिवासी बच्चे भी पढ़ाई करें, लेकिन उनके लिए बेहतर स्कूल, छात्रावास और सुविधाएं मिलनी चाहिए.

राष्ट्रपति ने भी भरोसा दिलाया कि सरकार आदिवासी इलाकों में शिक्षा के लिए विशेष कदम उठाएगी.

रश्मि अब भी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, और अपने समुदाय के बच्चों को पढ़ाने का सपना देखती हैं.

उनकी प्रेरणा उनके माता-पिता, गाँव के शिक्षक और उनके समाज के बुजुर्ग रहे, जिन्होंने हमेशा कहा कि पढ़ाई ही जीवन बदल सकता हैं.

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