छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है.
यहां एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक को आदिवासी समुदाय की नाबालिग छात्राओं के साथ दुर्व्यवहारहरकत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
इस मामले ने न सिर्फ स्थानीय समाज को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
यह मामला तब सामने आया जब आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं ने शिक्षक के ‘बुरे स्पर्श’ की शिकायत सबसे पहले अपने हॉस्टल की अधीक्षिका से की.
लेकिन जब वहां कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो छात्राओं ने यह बात अपने माता-पिता को बताई.
परिजनों ने तुरंत इस बात की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई.
पुलिस ने छात्राओं के बयान लिए और प्राथमिक जांच के आधार पर शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने आरोपी शिक्षक पर पॉक्सो (POCSO) एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है.
यह दोनों कानून नाबालिग बच्चों और अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं.
गिरफ्तारी के बाद शिक्षक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और मामले की गहन जांच की जा रही है.
इस घटना के सामने आने के बाद अब स्कूल के अन्य स्टाफ और हॉस्टल कर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है.
पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या इस तरह की हरकतें पहले भी हुई हैं और अगर हां, तो क्या उन्हें जानबूझकर छुपाया गया था.
वहीं दूसरी ओर, शिक्षा विभाग ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है.
यह मामला हमें याद दिलाता है कि स्कूल न सिर्फ पढ़ाई का स्थान होता है, बल्कि वहां बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी होती है.
खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां बच्चे पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, वहां इस तरह की घटनाएं बेहद निंदनीय और चिंताजनक हैं.