मणिपुर सरकार ने नए सिरे से हिंसा के बाद चुराचांदपुर जिले में दो महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा आदेश लागू किया है. एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई है.
इस पूर्वोत्तर राज्य के विभिन्न हिस्सों में इस साल मई के बाद से जातीय संघर्ष जारी है.
चुराचांदपुर जिले में सोमवार को खासतौर पर थिंगकांगफई गांव में कई स्थानों पर हिंसा की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गई.
जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश में कहा, ‘‘लोगों के दो समूहों के बीच टकराव के कारण शांति भंग होने की आशंका अब भी है और स्थिति अभी तनावपूर्ण है.’’
निषेधाज्ञा आदेश सोमवार को लागू किया गया और यह 18 फरवरी 2024 तक लागू रहेगा. इसके तहत पांच और उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने तथा हथियार रखने पर मनाही है.
जिला मजिस्ट्रेट धारुन कुमार एस. ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रभावित इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए सभी प्रयास किए हैं.
मणिपुर सरकार ने यह आदेश तब जारी किया है, जब एक आदिवासी संगठन ने जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने का ऐलान किया है.
शवों को दफनाने की प्रक्रिया जारी
मणिपुर हिंसा के बीच 8 महीने बाद संघर्ष में मारे गए लोगों के शवों को दफनाने का क्रम शुरू हो गया है. तीन दिन पहले कुकी समुदाय के 19 शवों को कांगपोकपी जिले में दफनाया गया था. यह अंतिम संस्कार कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (COTU) ने किया.
इसी कड़ी में चुराचांदपुर स्थित प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITFL) ने 60 से अधिक शवों को सामूहिक रूप से दफनाने की घोषणा की है, जिसके बाद माहौल गर्म है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रहा है अंतिम संस्कार
पिछले महीने नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा की जांच के लिए नियुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया था.
न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कहा गया था कि 175 शवों में से कुल 169 शवों की पहचान हो गई है, 81 शवों पर परिजनों ने दावा किया है, जबकि 94 शवों लावारिस हैं.
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों में जातीय हिंसा जारी है. हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि हजारों लोग
मणिपुर में मैतेई आबादी के लगभग 53 प्रतिशत हैं, जो इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं.