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2027 की जनगणना में सेंटिनलीज़ की गिनती थर्मल तकनीक से होगी!

अंडमान-निकोबार में 2027 की जनगणना की तैयारी तेज़, सेंटिनलीज़ जनजाति की गिनती के लिए सरकार थर्मल सेंसर जैसी नई तकनीक अपनाने पर कर रही है विचार

देशभर में 2027 की जनगणना की तैयारी शुरू हो चुकी है और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी इसकी हलचल तेज़ हो गई है.

इस बार जनगणना डिजिटल तरीके से होगी और इसे लेकर प्रशासन ने ज़मीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी चुनौती सेंटिनलीज़ जनजाति की गिनती है.

सेंटिनलीज़ जनजाति को दुनिया की सबसे प्राचीन और बाहरी दुनिया से कटी हुई जनजातियों में गिना जाता है. वे उत्तर सेंटिनल द्वीप पर रहते हैं और हजारों सालों से बाहरी दुनिया से अलग-थलग हैं.

इस जनजाति की खासियत यह है कि वे किसी भी बाहरी व्यक्ति को अपने इलाके में घुसने नहीं देते. अगर कोई कोशिश भी करे तो वे तीर-कमान से हमला कर देते हैं.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि क्योंकि जनगणना में हर नागरिक की गिनती होती है, इसलिए सेंटिनलीज़ को शामिल करना भी ज़रूरी है.

लेकिन उनकी निजता और परंपरा को ध्यान में रखते हुए ऐसे उपाय तलाशे जा रहे हैं, जिससे बिना सीधे संपर्क में आए उनकी गिनती की जा सके.

इसी कड़ी में ‘नॉन-इनवेसिव थर्मल सेंसस’ यानी थर्मल तकनीक से गिनती का विकल्प सामने आया है.

इसमें गर्मी और गतिविधि को दूर से मापा जाएगा और यह पता लगाया जा सकेगा कि वहां कितने लोग रहते हैं.

अधिकारियों के अनुसार, अभी तक अंतिम प्रक्रिया तय नहीं हुई है. लेकिन जल्द ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बना लिया जाएगा.

गौरतलब है कि उत्तर सेंटिनल द्वीप और इसके आसपास के इलाके में जाने पर पूरी तरह रोक है.

यह नियम 1956 के ‘प्रोटेक्शन ऑफ एबोरिजिनल ट्राइब रेगुलेशन’ और इंडियन फॉरेस्ट एक्ट, 1927 के तहत लागू है. इसी वजह से वहां किसी बाहरी व्यक्ति का जाना कानूनन अपराध है.

सेंटिनलीज़ को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है.

माना जाता है कि वे सीधे तौर पर उन पहले मानव समूहों के वंशज हैं, जो अफ्रीका से निकलकर एशिया की ओर बढ़े थे.

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वे पिछले 50 से 55 हजार सालों से अंडमान में बसे हुए हैं. उनका इलाका लगभग 14,700 एकड़ में फैला हुआ है.

इस जनजाति के बारे में चर्चा 2018 में उस समय ज़्यादा हुई थी, जब एक अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चौ बिना अनुमति के धार्मिक प्रचार के लिए उत्तर सेंटिनल द्वीप पर गया और वहां जनजाति के लोगों ने उसकी हत्या कर दी.

इधर, 29 अगस्त को अंडमान और निकोबार प्रशासन की उच्च स्तरीय जनगणना समन्वय समिति की पहली बैठक भी हुई.

मुख्य सचिव चंद्र भूषण कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जनगणना निदेशक पुर्वा गर्ग ने तैयारी की विस्तृत जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि 2027 की जनगणना दो चरणों में होगी. पहला चरण होगा मकानों की गिनती और घरों की सूची (हाउस लिस्टिंग) और दूसरा चरण में जनसंख्या की गिनती की जाएगी.

साथ ही यह भी बताया गया कि जनगणना से पहले अक्टूबर-नवंबर 2025 में तीनों जिलों के कुछ इलाकों में ट्रायल यानी प्री-टेस्ट किया जाएगा.

मुख्य सचिव ने खास तौर पर कहा कि जनजातीय इलाकों की गिनती पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि किसी को भी बाहर न छोड़ा जाए और आंकड़े सही-सही सामने आ सकें.

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