मध्य प्रदेश सरकार ने यह तय किया है कि पूरे राज्य में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक एक खास कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसका नाम होगा “सेवा पर्व”.
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) से शुरू होगा और महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) तक चलेगा.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि इस सेवा पर्व का मुख्य मकसद है लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा सीधे पहुंचाना, साफ-सफाई को बढ़ावा देना और आदिवासी इलाकों में खास ध्यान देना.
इस सेवा पर्व के दौरान “स्वच्छता ही सेवा” नाम से एक अभियान भी चलेगा.
इसके तहत पूरे राज्य में सफाई अभियान, रक्तदान कैंप, फ्री हेल्थ चेकअप, और पौधे लगाने की मुहिम चलाई जाएगी। पौधरोपण के लिए एक खास थीम रखी गई है – “एक पेड़ मां के नाम”.
साथ ही, कई जिलों में “नमो पार्क” भी बनाए जाएंगे, ताकि हरियाली बढ़े और लोग इस अभियान से जुड़ें.
इसके अलावा, 27 सितंबर को “नमो मैराथन” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लोग दौड़ में भाग लेकर सेवा का संदेश देंगे.
साथ ही, स्कूलों में प्रतियोगिताएं, गांवों में मेले, किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी और गरीबों को मदद देने के कार्यक्रम भी होंगे.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वे खुद जिलों का दौरा करेंगे ताकि ये देखा जा सके कि सेवा पर्व सही तरीके से चल रहा है या नहीं.
सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी योजना में लापरवाही नहीं होनी चाहिए.
सेवा पर्व के दौरान आदिवासी इलाकों, गांवों में भी एक खास कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसका नाम है “आदि सेवा पर्व”.
इसमें पंचायत स्तर पर योजनाओं की जानकारी दी जाएगी और लोगों की शिकायतें सुनी जाएंगी, ताकि आदिवासी समाज को भी सभी सरकारी सुविधाएं पूरी तरह मिल सकें.
जनजातीय कार्य मंत्री गुलशन बामरा ने बताया कि गांव-गांव में बैठकें होंगी और सरकारी कर्मचारी लोगों से सीधी बात करेंगे.
इससे सरकार और जनता के बीच भरोसा बढ़ेगा और दूरी कम होगी.
इस सेवा पर्व में सिर्फ अफसर ही नहीं, बल्कि स्कूल, सामाजिक संगठन, धार्मिक समूह और आम जनता भी शामिल होंगे ताकि यह एक जन आंदोलन बन सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम केवल एक सरकारी काम नहीं है, बल्कि जनसेवा का संकल्प है.
इसका मकसद है कि हर व्यक्ति तक मदद पहुँचे और राज्य के हर कोने में विकास हो.