झारखंड के गिरिडीह जिले में आदिवासी लोगों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर अब आवाज उठाई जा रही है.
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक नाम की एक राजनीतिक पार्टी ने इस मुद्दे पर आंदोलन शुरू कर दिया है.
पार्टी का कहना है कि कुछ लोग और भू-माफिया मिलकर आदिवासी और दलित लोगों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन कुछ नहीं कर रहा है.
यह आंदोलन गिरिडीह के पचम्बा इलाके से शुरू किया गया है.
यहां एक जनसभा का आयोजन किया गया जिसमें कई गांवों से लोग शामिल हुए.
लोगों ने बताया कि जिन जमीनों पर वे कई सालों से खेती कर रहे थे या जो गांव की सार्वजनिक जमीन थी, उन पर अब कुछ लोगों ने जबरदस्ती कब्जा कर लिया है.
यहां तक कि गांव के बच्चों के खेलने की जगह, आम रास्ते और सार्वजनिक तालाब भी अब निजी बना दिए गए हैं.
फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं का कहना है कि यह जमीन आदिवासियों की पहचान और जीवन से जुड़ी हुई है.
अगर ये जमीनें छीन ली जाती हैं, तो उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.
लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
न ही कोई जांच हुई और न ही अवैध कब्जा हटाया गया.
पार्टी के नेताओं ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक गांव या एक जिला नहीं, बल्कि पूरे झारखंड का मुद्दा है.
हर जिले में आदिवासी और गरीब लोगों की जमीनें छीनी जा रही हैं.
इसलिए यह आंदोलन अब और तेज़ किया जाएगा, ताकि सरकार को नींद से जगाया जा सके.
इस आंदोलन में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने भी हिस्सा लिया.
सभी की यही मांग थी कि उनकी जमीन वापस दिलाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो वे आगे जाकर जिला कार्यालय और राजधानी रांची में भी प्रदर्शन करेंगे.
गिरिडीह का यह आंदोलन अब धीरे-धीरे एक बड़ी लड़ाई का रूप ले रहा है.
यह सिर्फ जमीन की लड़ाई नहीं, बल्कि सम्मान, हक और अस्तित्व की लड़ाई बन गई है.