HomeAdivasi Dailyसुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर लगाया आदिवासियों की उपेक्षा करने का...

सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर लगाया आदिवासियों की उपेक्षा करने का आरोप

सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि पिछले सालों में हजारों पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया और राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी किए.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly elections) में एक साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया है. साथ ही तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर आदिवासी समुदाय की व्यवस्थित उपेक्षा और अत्याचार का आरोप लगाया है.

बीजेपी अब आदिवासी अधिकारों पर केंद्रित एक बड़े राजनीतिक आंदोलन की तैयारी कर रही है.

इतना ही नहीं राज्य में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को राज्य में आदिवासी समुदाय की उपेक्षा करने के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्हें शिक्षा और नौकरियों में उनके अधिकारों और आरक्षण से वंचित किया जा रहा है.

सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि ममता बनर्जी सरकार ने सरकारी नौकरियों में स्थायी पदों को हटाकर संविदा पर रोज़गार लागू कर दिया है.

उन्होंने कहा, “बंगाल में मुख्यमंत्री ने स्थायी नौकरियों को हटाकर अस्थायी नौकरियां लागू कर दी हैं. उन्होंने आरक्षण भी खत्म कर दिया है. अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों और दिव्यांगों को केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार आरक्षण दिया जाना चाहिए लेकिन वर्तमान सरकार इसकी अनदेखी कर रही है.”

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले सालों में हजारों पदों पर नियुक्तियों के दौरान आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया और राज्य सरकार की ओर से बड़ी संख्या में फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं.

इसके साथ ही सुवेन्दु अधिकारी ने पुरुलिया, मेदिनीपुर और देबरा सहित विभिन्न जिलों में आदिवासियों के खिलाफ हिंसा और अन्याय की पांच हालिया घटनाओं के ठोस सबूत पेश किए.

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अधिकारी ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेषकर जंगल महल क्षेत्र में, को लक्षित रूप से परेशान करने का आरोप लगाया.

अधिकारी ने कहा, “पिछले एक महीने में ही हमने आदिवासियों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अत्याचार देखे हैं. आदिवासी समुदाय की उपेक्षा की जा रही है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और न्याय से वंचित रखा जा रहा है. हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और अदालत का रुख करेंगे. ज़रूरत पड़ने पर हम राज्यपाल से भी मिलेंगे.”

इसके अलावा उन्होंने बिरसा मुंडा और सिद्धू मुर्मू जैसे आदिवासी नेताओं के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को रेखांकित किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की नीति की सराहना की.

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के चुनाव को इसका उदाहरण बताया और कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने उनके नामांकन का विरोध किया था.

BJP द्वारा प्रस्तुत कथित घटनाओं की सूची:

1. पुरुलिया – आदिवासी महिलाओं पर कथित अत्याचार.

2. मेदिनीपुर – एक आदिवासी फुटबॉल रेफरी की तृणमूल नेता ने पिटाई की. हालांकि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन जल्द ही उसे ज़मानत मिल गई.

3. झारग्राम – सुबल सोरेन की नौकरी छूटने के बाद स्ट्रोक से कथित तौर पर मृत्यु हो गई, जिसे भाजपा “संस्थागत हत्या” का मामला बताती है.

4. देबरा – भाजपा का दावा है कि डॉ. सोरेन की पुलिस ने संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी.

5. पुरुलिया – आदिवासी युवक धनंजय को एक विशेष धार्मिक समुदाय के लोगों ने कथित तौर पर प्रताड़ित किया.

भाजपा ने राज्य प्रशासन पर इन मामलों में निर्णायक कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया है और इन मुद्दों को न्यायिक और संवैधानिक, दोनों मंचों पर उठाने का संकल्प लिया है.

अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, “आदिवासी इस भूमि के मूल निवासी हैं. उनके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए और हम उनकी आवाज़ को दबाने नहीं देंगे.”

जंगल महल फिर से चर्चा में

पुरुलिया, झाड़ग्राम, बांकुरा और पश्चिम मेदिनीपुर के आदिवासी बहुल ज़िले, जिन्हें सामूहिक रूप से जंगल महल के नाम से जाना जाता है राजनीतिक रूप से बेहद अहम हैं.

भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में बेहतरीन प्रगति की थी और बड़ी संख्या में सीटें हासिल की थीं. हालांकि, 2024 तक तृणमूल कांग्रेस इन क्षेत्रों में अपनी काफ़ी मज़बूत स्थिति फिर से हासिल कर चुकी थी.

ऐसे में राजनीतिक गति में बदलाव को भांपते हुए भाजपा 2026 के चुनावों से पहले आदिवासी मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर अपनी रणनीति में बदलाव करती दिख रही है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, एक बड़े पैमाने पर आंदोलन की योजना बनाई जा रही है, जिसमें योजनाबद्ध आउटरीच प्रोग्राम, विरोध प्रदर्शन और कानूनी हस्तक्षेप शामिल हैं.

( Photo Credit: PTI)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments