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कवाल टाइगर रिजर्व में जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में 26 आदिवासी गिरफ्तार

कावल वन क्षेत्र को 1350 फसली (1940 ईस्वी) में संरक्षित वन (Reserved Forest) घोषित किया गया था और बाद में 1999 में इसे वन्यजीव अभयारण्य और 2011 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था.

तेलंगाना के कुमरम भीम आसिफाबाद जिले में शनिवार रात को वन अधिकारियों ने वन भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोप में 26 लोगों को गिरफ्तार किया.

इन सभी लोगों पर इंदानापल्ली रेंज में कावल टाइगर रिज़र्व के कोर एरिया में झोपड़ी बनाकर और पेड़ काटकर अतिक्रमण करने का आरोप है.

गिरफ्तारी के बाद उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किया गया. इसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

एक प्रेस बयान में जनाराम वन डिवीजन के अधिकारियों ने कहा कि बार-बार चेतावनी और समझाने के बावजूद, आरोपी कोर एरिया में वन भूमि पर कब्ज़ा किए रहे. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोग पोडू किसान नहीं थे और चेतावनी दी कि वन भूमि पर अतिक्रमण करके वन्यजीव संरक्षण में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वहीं वन डिवीजनल अधिकारी (FDO) एम. राम मोहन के मुताबिक, आरोपी मनचेरियल जिले के जनाराम मंडल के कावल गांव क्षेत्र के अंतर्गत सोनापुर ठंडा बीट के पलाघोरी क्षेत्र (कम्पार्टमेंट नंबर 249) में अवैध रूप से वन भूमि पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे.

कावल वन क्षेत्र को 1350 फसली (1940 ईस्वी) में संरक्षित वन (Reserved Forest) घोषित किया गया था और बाद में 1999 में इसे वन्यजीव अभयारण्य और 2011 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था.

एफडीओ ने कहा कि ये लोग सालों से वन भूमि पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे और उनका दावा था कि यह भूमि उनके पूर्वजों की है, जो गलत है.  

उन्होंने कहा, “राजस्व रिकॉर्ड में महासुरा (वन भूमि) के रूप में दर्ज यह ज़मीन 9,631.33 एकड़ में फैली है और यह कावल संरक्षित वन क्षेत्र का हिस्सा है.”

एफडीओ ने आगे कहा, “आरोपियों ने कथित तौर पर 2023 से पलाघोरी इलाके में पेड़ों की कटाई की और झोपड़ियां बनाईं. सितंबर 2024 में उन्हें वहां से हटा दिया गया और उनकी झोपड़ियां भी हटा दी गईं, लेकिन वे अगस्त 2025 में वापस आ गए. वन अधिकारियों, राजस्व अधिकारियों और समुदाय के नेताओं ने उन्हें वहां से जाने के लिए कहा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.”

आरोप है कि अतिक्रमण करने वालों ने ड्यूटी पर तैनात वन कर्मचारियों पर हमला किया और सरकारी कर्मचारियों से मारपीट करने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई.

हालांकि, इस पूरे मामले में अभी तक आदिवासियों की तरफ से किसी तरह की प्रकिया नहीं आई है.

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