छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण इलाकों के लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा देने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसका नाम है मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सेवा (CMRBS).
इस योजना का उद्देश्य उन गाँवों को शहरों और जिला मुख्यालयों से जोड़ना है, जहाँ आज तक बस जैसी बुनियादी सुविधा नहीं पहुँच पाई थी.
इस योजना की शुरुआत 4 अक्टूबर 2025 को जगदलपुर से हुई. इसका उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया.
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब विकास उन गाँवों तक भी पहुँचेगा जो दशकों से मुख्यधारा से कटे हुए थे.
उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना सिर्फ परिवहन सुविधा नहीं है, बल्कि यह दूरदराज के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
पहले चरण में योजना के तहत 11 जिलों के लगभग 250 गाँवों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस चरण में कुल 34 बसें चलाई जाएँगी, जो 34 अलग-अलग मार्गों पर संचालित होंगी.
ये बसें गाँवों को सीधे ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक जोड़ेगी, जिससे ग्रामीणों को कई जरूरी सेवाओं तक आसानी से पहुँच मिल सकेगी.
अभी भी कई ऐसे गाँव हैं जहाँ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, बाज़ार, सरकारी दफ्तर या रोज़गार के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.
इस बस सेवा से अब उन लोगों को राहत मिलेगी और उनकी यात्रा सुगम और सुरक्षित होगी.
खासकर बस्तर और सरगुजा मंडल के आदिवासी इलाकों में यह योजना जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है.
हालाँकि सरकार को यह भी पता है कि हर रूट मुनाफा नहीं देगा. इसलिए योजना के साथ Viability Gap Funding (VGF) का प्रावधान किया गया है.
इसका मतलब है कि जिन रूट्स पर कम यात्री होंगे और बस ऑपरेटर को घाटा हो सकता है, वहाँ सरकार उन्हें वित्तीय मदद देगी.
इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सेवा बंद न हो और लगातार चलती रहे.
इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार भी पैदा होगा. बस के लिए ड्राइवर, कंडक्टर, मेंटेनेंस स्टाफ और प्रशासनिक कर्मियों की ज़रूरत होगी.
इससे युवाओं को अपने ही क्षेत्र में काम मिलने का मौका मिलेगा.
यह योजना माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास लाने की नीति का भी हिस्सा है.
सरकार पहले से ही “नियाद नेल्लनार” जैसी योजनाएं चला रही है, जिसके ज़रिए गाँवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली और पानी जैसी सुविधाएँ पहुँचाई जा रही हैं.
साथ ही सुरक्षा के लिए नए शिविर, माओवादी विरोधी अभियान और आत्मसमर्पण की नीतियाँ भी लागू की गई हैं.
अमित शाह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस क्षेत्र को बदलने के लिए काम कर रही हैं.
उनका दावा है कि माओवादी समस्या जल्द खत्म होगी और यह क्षेत्र विकास की मुख्यधारा में शामिल होगा.
इस योजना से लोगों को उम्मीद है कि अब गाँवों में सुविधाएँ, अवसर और सरकारी समर्थन समय पर मिलेगा.
इससे न केवल जीवन आसान होगा, बल्कि लोगों को यह भी भरोसा मिलेगा कि सरकार उनकी जरूरतों को समझती है और उन्हें साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती है.