HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़ में दर्जनों मामलों में वांटेड आदिवासी कार्यकर्ता सुनिता पोट्टम गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ में दर्जनों मामलों में वांटेड आदिवासी कार्यकर्ता सुनिता पोट्टम गिरफ्तार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों की एक प्रतिवेदक मैरी लॉलर ने कहा कि सुनीता पोट्टम की गिरफ्तारी आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा और व्यवस्थागत उल्लंघनों के खिलाफ उनकी शांतिपूर्ण वकालत के परिणामस्वरूप हुई है.

बीजापुर पुलिस ने सोमवार को आदिवासी कार्यकर्ता सुनीता पोट्टम (Suneeta Pottam) को नक्सली संबंधी 12 मामलों में कथित संलिप्तता के आरोप में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर से गिरफ्तार किया.

जिसमें हत्या, हत्या के प्रयास के कई मामले और शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत अपराध शामिल हैं. इनमें इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) लगाने, आगजनी, लूट और नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप भी शामिल हैं.

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने पोट्टम की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए दावा किया कि पोट्टम अपराधों की “साजिश रचने और योजना बनाने” में शामिल थी और प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का हिस्सा है. सुनिता पोट्टम को अब बीजापुर ले जाया गया है.

पुलिस अधीक्षक ने कहा, “वह अपना नाम बदलकर रायपुर में छिपी हुई थी. उसे गिरफ्तार करने और अदालत में पेश करने के लिए हमारे पास उसके खिलाफ 12 कोर्ट वारंट हैं. वह उनके (सीपीआई माओवादी) शहरी नेटवर्क का हिस्सा है और उनके फ्रंटल संगठन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.”

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पोट्टम क्रांतिकारी आदिवासी महिला संघ से जुड़ी है, जो प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के अंतर्गत आने वाली महिलाओं की शाखा है.

इस अधिकारी ने कहा कि हालांकि, वे (संगठन) यह नहीं कहते कि वे महिला शाखा का हिस्सा हैं, बल्कि पोट्टम का कहना है कि वह आदिवासी अधिकार समूह, मूलवासी बचाओ मंच का हिस्सा हैं.

वहीं नागरिक अधिकारों की वकालत करने वाले समूह पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने गिरफ्तारी को अवैध बताया.

PUCL ने एक बयान में कहा कि अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण वह बीजापुर पुलिस के लिए कांटा बन गई है.

उन्होंने दावा किया कि पोट्टम 25 वर्षीय आदिवासी कार्यकर्ता हैं, जो वकालत समूह की सदस्य थीं और राज्य के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं. यहां तक ​​कि उन्होंने 2016 में कथित फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की थी.

पीयूसीएल छत्तीसगढ़ ने एक बयान में कहा, “बीजापुर जिले के कोरचोली गांव की निवासी कार्यकर्ता और मानवाधिकार रक्षक सुनीता पोट्टम को आज सुबह करीब 8.30 बजे डीएसपी गरिमा दादर के नेतृत्व में बीजापुर जिला पुलिस की एक टीम ने रायपुर में उनके अस्थायी निवास से बाहर घसीटा.”

पीयूसीएल ने कहा कि पोट्टम ओपन स्कूल से अपनी कक्षा 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के लिए रायपुर में थी और प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए एक महिला समूह की सहकर्मियों के साथ रह रही थी, तभी उन्हें उठा लिया गया.

उन्होंने कहा कि पोट्टम को बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी में ले जाया गया और धमकाया गया और फिर पुलिस पोट्टम के खिलाफ वारंट दिखाने के लिए लौटी लेकिन उसके सहकर्मियों और पीयूसीएल सदस्य को इसकी एक प्रति देने से इनकार कर दिया.

पीयूसीएल ने बयान में कहा है कि कार्यकर्ता को पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया है और वह कई विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रही हैं. जिसमें पेसा एक्ट का उल्लंघन करते हुए गांव की सड़कों को चौड़ा करना भी शामिल है.

बयान में कहा गया है, “मानवाधिकार रक्षक के रूप में सुनीता पोट्टम बीजापुर पुलिस की आंखों में कांटा रही हैं क्योंकि वह बीजापुर में पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों, खासकर महिलाओं के खिलाफ़ किए गए अत्याचारों के लिए आवाज़ उठाती रही हैं. 2016 में उन्होंने बीजापुर जिले के कडेनार, पालनार, कोरचोली और एंड्री गांवों में 2016 में छह व्यक्तियों की न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ़ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments