राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में हाल ही में आदिवासी समुदायों ने अपनी एक महत्वपूर्ण मांग को लेकर जोरदार आवाज़ उठाई है.
इस इलाके के कई जनजातीय प्रमुख ब्लॉकों के लोगों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए.
शेखावाटी क्षेत्र में चूरू, झुंझुनू और सीकर जिलों के कुछ ब्लॉक ऐसे हैं. जहाँ बड़े पैमाने पर आदिवासी रहते हैं.
लेकिन उन्हें अभी तक इस विशेष दर्जे का लाभ नहीं मिला है.
आदिवासी समाज का कहना है कि यह दर्जा मिलने से उन्हें न केवल सरकारी योजनाओं और आरक्षण में हिस्सेदारी का लाभ मिलेगा. बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी.
इस मांग को लेकर हाल ही में सुजाँगढ़ में एक सभा आयोजित की गई. जिसमें इलाके के कई जनजातीय प्रतिनिधि शामिल हुए.
सभा में उपस्थित लोगों ने बताया कि यहाँ के आदिवासी समुदाय लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं.
शिक्षा की दर बहुत कम है और बेरोजगारी अधिक है.
इसके अलावा, कई सामाजिक समस्याएं और भेदभाव भी उनके जीवन पर असर डाल रहे हैं.
उन्होंने यह तर्क दिया कि अन्य राज्यों में भील और नायक समुदाय को जनजातीय दर्जा मिल चुका है.
जबकि राजस्थान में उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान के बावजूद उन्हें अभी तक यह दर्जा नहीं मिला.
विशेष रूप से नायक समुदाय ने इस सभा में अपनी मांग पर जोर दिया. उनका कहना था कि उनकी जड़ें भील जनजाति से जुड़ी हुई हैं.
इसलिए उन्हें भी ST सूची में शामिल किया जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि उनका समुदाय अब तक अनुसूचित जाति की श्रेणी में आता रहा है.
जबकि उनका सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से दर्जा बदलकर उन्हें जनजाति दर्जा मिलना चाहिए.
उनका यह भी मानना है कि यदि उन्हें यह दर्जा मिल जाता है. तो उनकी शिक्षा. रोजगार और सामाजिक स्थिति में सुधार आएगा.
सभा में शामिल लोगों ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य केवल अधिकार की माँग करना नहीं है. बल्कि अपनी पहचान और अस्तित्व को सुरक्षित रखना है.
उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इस मुद्दे पर जल्द निर्णय लिया जाए. ताकि उनके भविष्य और समाज की स्थिति में सुधार हो सके.
यदि सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती है. तो आगे और बड़े आंदोलन की संभावना बनी रहेगी.
ST दर्जा मिलने से समुदाय को अनेक फायदे होते हैं.
उन्हें सरकारी नौकरियों. शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता है, और सामाजिक मान्यता भी मिलती है.
इससे उनके बच्चों को स्कूल और कॉलेजों में दाखिला आसान होता है, और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं.
साथ ही, उनका समाजिक और आर्थिक विकास भी तेज़ होता है. यह दर्जा उनके लिए सम्मान और सुरक्षा दोनों का प्रतीक माना जाता है.
हालांकि इस मांग को पूरा करना आसान नहीं है.
ST सूची में नए समुदायों को शामिल करने के लिए कई मानदंड होते हैं.
इनमें सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन भौगोलिक अलगाव सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं का महत्व शामिल होता है.
इन मानदंडों को पूरा करना कभी-कभी कठिन होता है, और प्रशासनिक प्रक्रिया लंबी हो सकती है.
इसके अलावा पहले से सूचीबद्ध जनजाति समूहों में यह चिंता भी रहती है कि नए समूहों के शामिल होने से आरक्षण और संसाधनों में कमी आ सकती है.
इस पूरे मुद्दे ने यह स्पष्ट किया है कि शेखावाटी क्षेत्र के आदिवासी समाज को अभी भी मुख्यधारा में पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है.
वे अपने अधिकारों पहचान और सामाजिक मान्यता के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.
यह मामला सिर्फ आरक्षण या दर्जे की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन की गुणवत्ता और भविष्य से जुड़ा हुआ है.

