HomeAdivasi Dailyइंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आदिवासी शोध केंद्र की स्थापना

इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आदिवासी शोध केंद्र की स्थापना

यह भी बताया गया है कि इस केन्द्र को शोध केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा. इस शोध केंद्र से छात्रों को जनजातीय संस्कृति और इतिहास को समझने में आसानी होगी.

(Tribes of MP) मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने शुक्रवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के जनजातीय अध्ययन एवं कल्याण केंद्र का उद्घाटन किया.

विश्वविद्यालय का कहना है कि इस केंद्र का उद्देश्य राष्ट्र विकास में जनजातीय योगदान का सम्मान करना और आदिवासियों की संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करना है.

यह भी बताया गया है कि इस केन्द्र को शोध केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा. इस शोध केंद्र से छात्रों को जनजातीय संस्कृति और इतिहास को समझने में आसानी होगी.

इस जनजातीय शोध केंद्र में आदिवासियों के विकास से जुड़ी नीतियों और फैसलों के बारे में अध्ययन भी होगा.

इस अवसर पर  राज्यपाल पटेल ने आदिवासी विरासत के संरक्षण में केंद्र सरकार के योगदान को रेखांकित किया.

पटेल ने कहा, “मैं आदिवासियों के लचीलेपन और देश की विरासत में उनकी महत्तवपूर्ण भूमिका की प्रशंसा करता हूं. हम देश की सांस्कृतिक विरासत में जनजातियों के अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए प्रयास कर रहे हैं.”

एनएसएस के छात्रों को संबोधित करते हुए पटेल ने उन्हें शिक्षा और देशभक्ति को प्राथमिकता देने का आग्रह किया.

देवी अहिल्या विश्वविद्याल्य के अध्यापकों के साथ एनएसएस के 12 विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. सामाजिक कार्यकर्ता वैभव सुरंगेन और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष हर्ष चौहान भी मौजूद रहे.

भारत में मध्यप्रदेश वह राज्य है जिसमें आदिवासियों की कुल जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा रहता है. देश की कुल आदिवासी जनसंख्या का 13.57 प्रतिशत मध्यप्रदेश में रहते हैं.

मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का करीब 21 प्रतिशत आदिवासी हैं. इस लिहाज से आदिवासी शोध केंद्र की स्थापना एक ज़रूरी कदम कहा जा सकता है.

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