HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: बुनियादी मांगों को लेकर आदिवासी गांवों का धरना

आंध्र प्रदेश: बुनियादी मांगों को लेकर आदिवासी गांवों का धरना

सरकार ने न जाने कितनी बार पीवीटीजी समुदाय को बेहतर सुविधाएं देने के लिए बजट आवंटित किया, फंड्स जारी किए लेकिन इसके बावजूद सड़क और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं पाने के लिए आदिवासियों को प्रदर्शन करना पड़ रहा है... तो ज़रा सोचिए डिजिटल इंडिया के दौर में ये आदिवासी कितने पिछड़े होंगे.

आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली ज़िले में कई आदिवासी गांवों के लोगों ने बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर एकजुट होकर आवाज उठाई.

‘आंध्र प्रदेश आदिवासी गिरिजना संघम’ के नेतृत्व में लोगों ने नरसिपट्टनम आरडीओ कार्यालय के सामने धरना देकर अपनी मांगें सामने रखीं.

सड़क निर्माण में देरी पर नाराजगी

प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी मांग डोंकाडा गांव तक पहुंचने के लिए सड़क बनाने की थी.

ये गांव गोलुगोंडा मंडल में स्थित है. गांव में मुख्य रूप से कोंडू पीवीटीजी समूह के लोग रहते हैं.

प्रदर्शन के दौरान डोंकाडा निवासी कोंडाटंबिली अप्पाराव और गिरिजना संघम नेता चीपू रमेश ने प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा.

ज्ञापन में बताया गया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) ने 2023 में डोंकाडा गांव के लिए ₹1.6 करोड़ की मंज़ूरी दी थी.

लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया क्योंकि वन विभाग से मंजूरी दिलवाने की ज़िम्मेदारी कलेक्टर ने पूरी नहीं की.

अन्य अधूरे सड़क प्रोजेक्ट भी चिंता का कारण

डोंकाडा गांव ही नहीं, क्षेत्र के कई अन्य सड़क प्रोजेक्ट भी अधूरे हैं.

इनमें 4.10 करोड़ रुपये की लागत वाली अरला-पित्री गड्डा सड़क, 2.60 करोड़ रुपये की लागत वाली वाय.बी. पट्टनम को पेद्दागरुवु होते हुए लोसिंगी से जोड़ने वाली सड़क और जोगमपेटा और रविकामथम मंडल में 2.50 करोड़ रुपये की लागत वाली नेरेडु बंधा सड़क शामिल हैं.

इन सड़क परियोजनाओं के पूरे न होने की वजह से ग्रामीणों की आवाजाही में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

आदिवासी जमीन पर कब्ज़े का मामला

ज्ञापन में यह भी बताया गया कि रोलुगुंटा मंडल के पनसालपाडु इलाके में एक पूर्व सरपंच ने आदिवासियों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है.

इस मामले में 2019 में (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) आरओआर केस भी दायर किया गया. लेकिन अभी तक कोई जांच शुरू नहीं हुई.

ग्रामीणों ने इस मामले में तत्काल जांच की मांग की है.

शिक्षा और राशन वितरण से जुड़ी समस्याएं

धरना देने वालों ने यह भी बताया कि लोसिंगी गांव के 23 बच्चों की पढ़ाई रुक गई है क्योंकि गांव में कोई शिक्षक मौजूद नहीं है.

उन्होंने तुरंत शिक्षक की नियुक्ति की मांग की है.

साथ ही जोगमपेटा में ‘जीसीसी डिपो’ खोलने की मांग रखी गई. इससे आसपास के 10 गांवों के आदिवासी परिवारों को राशन प्राप्त करने में आसानी होगी.

प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग

गिरिजना संघम और स्थानीय लोग चाहते हैं कि नरसिपट्टनम सब-कलेक्टर कार्यालय में एक IAS अधिकारी की नियुक्ति हो ताकि ऐसे मामलों पर तेज़ी से कार्य हो सके.

उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि सभी लंबित विकास कार्यों को जल्द पूरा किया जाए और आदिवासी इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ा जाए.

(Image is for representation purpose only)

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