झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोमवार को संथाल परगना क्षेत्र में ‘अवैध’ भूमि लेनदेन की गहन जांच की मांग की और राज्य में ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ के खिलाफ आंदोलन तेज़ करने का ऐलान किया.
पिछले महीने झारखंड मुक्ति मोर्चा से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए चंपई सोरेन ने यह बयान प्रधानमंत्री के झारखंड दौरे के वक्त जेएमएम पर लगाए आरोपों के बाद दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में झारखंड के दौरे के दौरान कहा था कि घुसपैठिए आदिवासी जमीन हड़प रहे हैं, क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदल रहे हैं और महिलाओं पर अत्याचार कर रहे हैं.
चंपई सोरेन ने घुसपैठ को आदिवासी समाज के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बताया.
सोरेन ने कहा कि संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसकी वजह से आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने अवैध भूमि लेनदेन की जांच की मांग की और ज़ोर देकर कहा कि आदिवासी एकजुट हो रहे हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए दृढ़ निश्चयी हैं.
भाजपा का आरोप है कि झामुमो सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए आदिवासी समुदाय को उनकी जमीनों से वंचित करके घुसपैठियों को संरक्षण दे रही है.
पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रोम ने भी आदिवासी भूमि और संस्कृति की रक्षा के लिए एक मज़बूत सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि भूमि को मनमाने तरीके से बेचने और खरीदे जाने से और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने से आदिवासी समुदायों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.
जामा की पूर्व विधायक सीता सोरेन ने हेमंत सोरेन सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाकर सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में बड़ी कंपनियों की उपस्थिति के बावजूद स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर नहीं मिल रहे हैं और केवल बिचौलियों को ही लाभ हो रहा है.
एक तरफ तो बीजेपी संथाल परगना में बदल रही जनसांख्यिकि के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बना रही है. इस मुद्दे के ज़रिए भाजपा सोरेन सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रही है.
केंद्र सरकार ने गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए खुद बताया था कि तेज़ी से हो रहे आदिवासियों के धर्मांतरण और कम जन्म दर के कारण आदिवासी आबादी में भी काफी कमी आई है. इससे पता चलता है कि बीजेपी संथाल परगना में आदिवासियों की कम होती जनसंख्या की अन्य वजहों से भली-भांति परिचित है लेकिन इसके बावजूद वह आदिवासियों को भ्रमित कर खुद अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रही है.