ओड़िशा के सुंदरगढ़ ज़िले के 812 आदिवासी बहुल गांवों में ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के तहत स्थानीय स्कर पर विकास परियोजनाओं और नेतृत्व निर्माण की पहल की जाएगी.
प्रशासन ने चुने गए गांवों में इस कार्ययोजना को अंतिम रूप देने की तैयारी शुरु कर दी है.
गांवों के सभी आदिवासी मिलकर 2 अक्टूबर को होनेवाली ग्रामसभा में इस योजना को मंज़ूरी देंगे.
यह अभियान 19 अगस्त को केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय द्वारा शुरु किया गया था.
इसे आदिवासी समुदायों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ज़मीनी स्तर का नेतृत्व कार्यक्रम बताया जा रहा है.
प्रशासन के अनुसार इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों की विकास संबंधी ज़रूरतों को पूरा करना, आदिवासी समुदायों को सश्कत करना और शासन व्यवस्था को और ज़्यादा जवाबदेह बनाना है.
सुंदरगढ़ ज़िले के 17 ब्लॉक्स के कुल 1792 गांवों में से 812 आदिवासी बहुल गांवो को इस अभियान के लिए चुना गया है.
प्रशासन का कहना है कि इन गांवों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के लिए ग्रामीण स्तर पर सेवा केंद्र खोले जाएंगे.
ये केंद्र योजनाओं के बारे में तो जानकारी देंगे ही. साथ ही आवेदन प्रक्रिया, शिकायत दर्ज करने में भी मदद करेंगे. ज़रूरत पड़ने पर ये सेवा केंद्र अधिकारियों तक बात पहुंचाने में भी सहायक होंगे.
इस अभियान के तहत गांवों में अलग-अलग टीमें बनाई जा रही हैं.
इनमें स्वयं सहायता समूहों के सदस्य, आजीविका मिशन से जुड़े लोग, आदिवासी बुज़ुर्ग और स्वयंसेवक शामिल होंगे जो योजनाओं के प्रचार-प्रसार और क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे.
साथ ही पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक, डॉक्टर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी इनका हिस्सा होंगे ताकि लोगों को सही जानकारी और मार्गदर्शन मिल सके.
इसके अलावा अलग-अलग विभागों के अधिकारी और सामाजिक संगठनों के सदस्य मिलकर योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे.
अलग -अलग विभाग के सदस्यों को जोड़ने का मकसद यह है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, वन, महिला एवं बाल विकास, पंचायत और ग्रामीण विकास जैसे विभागों की योजनाएं अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचें.
इसके लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. 30 अगस्त को सुंदरगढ़ के कलेक्टर सुभंकर मोहापात्रा की अध्यक्षता में ज़िला स्तरीय अधिकारियों की बैठक हुई थी.
इसके बाद ब्लॉक अधिकारियों का तीन दिन का प्रशिक्षण आयोजित किया गया. 7 सितंबर से गांवों में जागरूकता अभियान और कार्यशालाएं शुरू हो गईं थीं.
इन कार्ययोजनाओं के आधार पर अभियान के क्रियान्वयन में गांववालों की राय और प्राथमिकताओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा.
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री और सुंदरगढ़ के सांसद जुएल ओराम ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया.
उनका कहना है कि सेवा, संकल्प और समर्पण की भावना से सरकार और आदिवासी समाज मिलकर 2030 तक एक लाख आदिवासी गांवों के विकास का लक्ष्य पूरा कर सकेंगे.
अभियान का असली असर कितना होगा यह तो आने वाले समय ही बताएगा. लेकिन इतना साफ है कि ग्रामीण स्तर पर लोगों की सीधी भागीदारी से आदिवासी इलाकों में विकास और शासन की दिशा बदलने की उम्मीद जगती है.