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15 दिन के भीतर एक ही आश्रम स्कूल में फूड़ प्वाइज़निंग के दो मामले

एक बार छात्राओं की तबियत बिगड़ने के बाद जांच के आदेश दिए गए, कथित तौर पर जांच हुई भी, लेकिन अगर वाकई जांच हुई है तो फ़िर से ऐसा ही मामला क्यों सामने आया? इस लापरवाही की ज़िम्मेदारी किसकी है? किसको दोष दिया जाए?

तेलंगाना के खम्मम ज़िले के कल्लूर मंडल मुख्यालय स्थित ट्राइबल गर्ल्स आश्रम स्कूल में शनिवार की रात भोजन करने के बाद 14 छात्राओं की तबीयत अचानक बिगड़ गई.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, छात्राओं ने आलू की सब्जी, रसम और पकोड़ी खाई थी.

डिनर करने के कुछ ही देर बाद कई लड़कियों को उल्टी, दस्त और पेट दर्द की शिकायत होने लगी.

होस्टल स्टाफ ने तुरंत सभी को नज़दीकी सरकारी अस्पताल पहुँचाया.

डॉक्टरों ने जांच के बाद पुष्टि की कि यह फूड प्वाइज़निंग का मामला है.

राहत की बात यह रही कि सभी छात्राओं की हालत अब स्थिर बताई जा रही है.

12 दिन पहले भी सामने आया था ऐसा ही मामला

यह घटना चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि सिर्फ 12 दिन पहले इसी स्कूल में ऐसा ही मामला सामने आया था.

उस समय करीब 30 छात्राएं नाश्ते में खिचड़ी खाने के बाद बीमार पड़ी थीं.

कई बच्चियों को गंभीर हालत में खम्मम के सरकारी अस्पताल रेफर करना पड़ा था.

उस समय भी बच्चियों को उल्टी, पेट दर्द और सूजन जैसी दिक्कतें हुई थीं.

उस मामले के बाद अधिकारियों ने स्कूल का दौरा किया था और खाने-पीने की व्यवस्था की जांच की थी.

यहां तक कि स्थानीय विधायक मट्टा रागामयी ने भी स्कूल पहुँचकर किचन और भोजन सामग्री देखी थी और सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे.

बार-बार घटना से उठे सवाल

लगातार दो बार बच्चों के बीमार पड़ने से आश्रम स्कूलों में खाने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं.

इलाके के सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह गंभीर लापरवाही है और सरकार को पूरे राज्य के आदिवासी होस्टलों और आश्रम स्कूलों में भोजन की सुरक्षा की समीक्षा करनी चाहिए.

पिछली घटना के बाद तेलंगाना गिरिजना संगम ने भी यही मांग उठाई थी कि सभी होस्टलों में भोजन और रसोईघर की स्थिति की व्यापक जांच हो.

छात्राओं में डर का माहौल

इन घटनाओं के बाद कई छात्राएं भोजन करने से डर रही हैं.

जानकारी के अनुसार, पिछली बार जब छात्राएं बीमार हुई थीं तो कई ने खाना खाने से इंकार कर दिया था.

स्थिति को संभालने के लिए अधिकारियों और डॉक्टरों ने खुद बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया, ताकि उनमें भरोसा पैदा हो सके.

लगातार हो रही घटनाओं से साफ है कि केवल चेतावनी या खानापूर्ति जांच से समस्या का समाधान नहीं होगा.

छात्राओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि मासूम बच्चों को बार-बार ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े.

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