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मणिपुर: जिरीबाम हत्याकांड में दो हमार लोगों की गिरफ्तारी पर आदिवासी संगठनों का विरोध

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने जिरीबाम हत्याकांड के मामले में मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से दो हमार समुदाय के युवकों को गिरफ्तार किया है. लेकिन दूसरी तरफ एनआईए की टीम पर ही भेदभाव और अन्यायपूर्ण जांच के आरोप भी लग रहे हैं.

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने मणिपुर के जिरीबाम हत्याकांड के मामले में मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से दो हमार समुदाय के युवकों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार किए गए युवकों के नाम थांगलिएनलाल हमार और लालरोसांग हमार हैं.

एजेंसी का दावा है कि दोनों युवक जिरीबाम में 6 लोगों की हत्या की साजिश में शामिल थे.

इन गिरफ़्तारियों के बाद मणिपुर के जनजातीय संगठनों ने तीखा विरोध जताया है और आरोपियों को निर्दोष बताया है.

क्या है मामला?

11 नवंबर 2023 को मणिपुर के जिरीबाम ज़िले के बोरबेकरा इलाक़े में तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. ये सभी मैतई समुदाय से थे.

कुछ दिनों बाद, इन छह लोगों के गोली लगे शव बराक नदी के किनारे अलग-अलग जगहों से बरामद हुए थे.

यह मामला बेहद संवेदनशील था. दिसंबर 2023 में जांच राष्ट्रीय जांच आयोग को सौंप दी गई थी.

गिरफ्तारी और विरोध

अब इस मामले में मणिपुर के मोइनाथोल गाँव के निवासी लालरोसांग हमार और थांगलिएनलाल हमार.

इन दोनों को असम के कछार ज़िले के एक घाट से गिरफ़्तार किया गया.

जांच आयोग का कहना है कि ये दोनों आरोपी हत्या की योजना में शामिल थे. एजेंसी ने उनके पास से मोबाइल फोन और सिम कार्ड जब्त कर जांच के लिए भेज दिए हैं.

वहीं हमार महिला संघ (Hmar Women Association) और कुकी जो काउंसिल (Kuki-Zo Council) ने इन गिरफ्तारियों का विरोध करते हुए बयान जारी किया है.

उन्होंने कहा, “दोनों युवक मेहनत-मज़दूरी करने वाले आम नागरिक हैं. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. उन्हें बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ़्तार किया गया है.”

संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जांच आयोग जनजातीय समुदायों के साथ भेदभाव कर रही है और अन्यायपूर्ण तरीके से कार्रवाई कर रही है.

मणिपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में जांच आयोग को आदेश दिया है कि वह एक महीने के भीतर चार्जशीट दाखिल करे ताकि यह तय हो सके कि आरोपियों पर केस चलाने लायक सबूत हैं या नहीं.

दरअसल, इस घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच दिसंबर 2024 में एनआईए को सौंप दी थी. एनआईए ने जांच के दौरान कई लोगों की पहचान की थी, जिन पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप है.

अब आदिवासी संगठनों द्वारा गिरफ्तारी पर सवाल उठाने के बाद, यह मामला और संवेदनशील हो गया है.

वहीं मणिपुर की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए हाल ही में राष्ट्रपति शासान की अवधि को एक बार फिर से 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.

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