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ईशा फाउंडेशन को मिली दो हफ़्ते की मोहलत, गैर कानूनी तरीके से जंगल की जामीन हड़पने का आरोप

वेल्लिंगिरी पहाड़ी में आदियोगी शिव प्रतिमा के मामले में ईशा फाउंनडेशन को दो हफ़्ते के भीतर केस से संबंधित सारे डाक्यूमेंट जमा करने का आदेश दिया गया है. 2017 में मूथामाल नाम के एक आदिवासी नेता ने ईशा फाउंनडेशन के खिलाफ गैर तरीके से जंगल की ज़ामीन हड़पने के आरोप में याचिका लगाई थी. अब 6 साल बाद अदालत ने इस केस की सुनवाई की है.

24 अगस्त को मद्रास हाई कोर्ट ने ईशा फाउंनडेशन को दो हफ़्ते की मोहलत देते हुए केस से संबंधित सभी डाक्यूमेंट ज़मा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वो इस केस पर ज़ल्द ही कोई कार्यवाही करे.

 ईशा फांउनडेशन अब तक 150 एकड़ ज़ामीन पर 96 बिल्डिंग बना चुका है.  ये बिल्डिंग इक्कराई बोलुवमपट्टी के गांव पेरुर तालुक, कोयंबटूर में बनाई गई है.

 वहीं कोयम्बूर के वेल्लिंगिरी पहाड़ी में आदियोगी शिव प्रतिमा बनाई गई है. यह प्रतिमा ईशा योगा सेंटर में स्थापित है.

 ये प्रतिमा जंगलो के बीच है  और इसके पास कई तरह के बिल्डिंग और भी बनाई जा रही हैं. इसलिए यहां रहने वाले आदिवासी और जानवर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. पार्यवरण सरंक्षण अधिनियम के तहत ये सभी जंगल नो साउंड जोन में आते हैं.

वहीं प्रतिमा के आस पास के इलाको में धवनि प्रदूषण के अलावा लाइट प्रदूषण भी होता है जिसे इन क्षेत्रों में रहने वाली चिड़िया की एक प्रजाति पर घेहरा आसर देखने को मिला है. दरअसल ये चिड़िया अंधेरे में ही अपना खाना ढूंढ सकती है.

राज्य सरकार के खिलाफ हुआ प्रोटेस्ट

तामिलनाडु ट्राइबल पीपल एसोसीएशन (TNTA) ने बताया की इन सभी क्षेत्रों में बिल्डिंग बनाने के लिए हिल एरिया कमेटी अप्रूवल से इज़ाजत लेनी पड़ती है. जबकि 2018 के CAG रिपोर्ट में ये देखा गया है कि ईशा फाउंडेशन ने बिना किसी भी इज़ाजत के सभी बिल्डिंग को स्थापित किया था.

वहीं TNTA ने राज्य सरकार से ईशा फाउंडेशन पर कड़ी कार्यवाही करने का आग्रह किया है. साथ ही 25 अगस्त को अलग अलग संस्थाओं के अधिकारियों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए कोयंबटूर जिले के कलेक्टर ऑफिस में प्रोटेस्ट भी किया था

मूथामाल की याचिका में किए गए दावे

2017 में मूथामाल ने ईशा फाउंडेशन पर गैर तरीके से जंगल की जामीन हड़पने और उस पर बिल्डिंग बनाने का आरोप लगाया था.

नगर एवं ग्राम नियोजन संगठन के संयुक्त निदेशक आर. राजगुरु के मुताबिक ईशा योगा सेंटर के अंतर्गत 20.805 हेक्टेयर की जमीन आती है. इसमें 15.53 हेक्टेयर जामीन नमी वाली और बाकि की जमीन सूखी है. ये सारी जामीन सरकार के अंदर आती है.

 यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे बड़े और सरकारों के करीबी लोगों को सभी नियमों के खिलाफ़ जा कर आदिवासियों की ज़मीन हड़पने दिया जाता है. लेकिन वहीं आदिवासियों को जंगल में खेती करने से रोकने के लिए गोली तक चला दी जाती है.

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