गुजरात आम आदमी पार्टी (आप) के अध्यक्ष और डेडियापाड़ा के विधायक चैतर वसावा ने शनिवार को मांग की कि राज्य के आदिवासी क्षेत्र में “व्यावसायीकरण” के नाम पर आदिवासियों की ज़मीनों को गैर-आदिवासियों को देने की घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए.
उन्होंने कानून का उल्लंघन करने वाले वर्तमान और पूर्व कलेक्टर के खिलाफ़ कार्यवाही की भी मांग की है.
उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक पत्र में लिखा कि अनुसूचित क्षेत्रों में लागू विशेष प्रावधानों का उल्लंघन कर, एकता नगर, झगड़िया, मांडवी, मंगरोल और पारडी जैसे कई क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि का हस्तांतरण किया गया है जो कि गैरकानूनी है. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
चैतर वसावा ने इस पत्र में लिखा कि वे भूमि की खरीद और बिक्री को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका भी दायर करेंगे.
चैतर ने कहा कि वह आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर आदिवासी क्षेत्र में आंदोलन का नेतृत्व करेंगे.
इस मामले में चैतर ने गुजरात भूमि राजस्व संहिता की धारा 73एए का हवाला दिया. यह धारा आदिवासियों की जमीनों को आदिवासियों या गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाती है.
वसावा ने कहा कि हाल ही में आईएएस अधिकारी आयुष ओक को राजस्व मामले में लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था. जबकि इससे पहले पूर्व आईएएस अधिकारी एसके लांगा को भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा गया था.
उनका कहना है कि अगर सरकार आदिवासियों की जमीनों को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने की गंभीरता से जांच करती है तो अतीत या वर्तमान के कई और जिला कलेक्टरों को जेल की हवा खानी पड़ेगी.
भू-राजस्व संहिता के अंतर्गत धारा-73AA की सभी शक्तियां कलेक्टर को दी गईं हैं इसलिए यदि आदिवासियों की भूमि कानून का उल्लंघन करके गैर आदिवासी को दी जाती है तो इसके लिए जिला कलेक्टर को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा. क्योंकि उसकी अनुमति के बिना यह भूमि हस्तांतरण मुमकिन नहीं है.