झारखंड में पेसा 1996 के प्रावधानों पर बहस जारी है. इस सिलसिले में राजधानी रांची में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया.
इस कार्यशाला में संसदीय अधिनियम 1996 के उपबंध 3, 4, 4 (d ), 4(m) 4 (o)एवं उपबंध 5 के अनुपालन के बारे में विस्तार से बातचीत की गई.
इस कार्यशाला में भारत के विभिन्न अनुसूचित क्षेत्र वाले राज्यों से प्रतिनिधि शामिल हुए. जो लोग इस वर्कशॉप में शामिल थे उनमें झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र से भी मान्यता प्राप्त ग्राम प्रधानगण तथा बुद्धिजीवी वर्ग शामिल हुए.
रांची में हुई इस चर्चा में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजनक विक्टर मालतो ने कहा कि भारत के संविधान भाग 9 अनुच्छेद – 243 m1 एवं 243 ( zc) के द्वारा क्रमशः पंचायत राज व्यवस्था और नगर पालिका के स्थापना पर संवैधानिक रोक है.
उन्होंने कहा कि संसद ने अनुच्छेद 243 m, 4(b) के तहत एक विशेष अधिनियम पारित किया था. जिसे पंचायतों के उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 के नाम से जाना जाता है .
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस अधिनियम के उपबंध अनुसूचित 4, 4 (o) एवं 4 (m ) के अनुपालन में जिला स्तर पर स्वशासी परिषद और निचले स्तर पर ग्राम सभा के स्थापना हेतु सरकार अविलंब अधिसूचना जारी की करे.
उन्होंने बताया कि उपबंध 5 के अनुसार अधिनियम 1996 के प्रावधानों को संशोधन या हटाने का समय एक समय सीमा एक साल की अवधि रखी गई थी जो समाप्त हो चुका है.
विक्टर मालतो ने अपनी बात रखते हुए कहा “ज्ञात हो कि माननीय संसद ने अनुच्छेद 243 (zc) 3 के आलोक में आज तक नगर पालिकाओं के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नहीं किया है. इस प्रकार अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पालिकाओं के प्रावधान असंवैधानिक रूप कार्य करते हुए हमारी जमीन की प्रकृति बदलते हुए हमें संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रहे हैं.”
अध्यक्षता श्री एम सीमाचलम , मुख्यवक्ता श्री विक्टर कुमार मालतो, अन्य वक्ता जेवरा मुचाहरी, डॉ बेलाराम गोगरा, श्री नाबोर एक्का श्री प्रभाकर कुजूर , सुश्री ममता पोया, मंच का संचालन डॉ रीना गॉड शोरा, धन्यवाद ज्ञापन श्री माइकल मरांडी ने किए.

