ट्राइबल किचन के में हम अलग अलग राज्यों के आदिवासी समुदायों के खाने के बारे में जानने समझने की कोशिश करते हैं. इसके लिए हम देश के दूर दराज़ के इलाक़ों में बसे आदिवासी समुदायों से मिलते हैं.
इसी क्रम में हम महाराष्ट्र के डहाणू भी गए थे, जहां हम वारली आदिवासियों से मिले थे. यहाँ पर हमने उनके एक परिवार के साथ आलू मटन बनाया था.
इसी तरह से हमने कोया आदिवासी परिवार के साथ ओड़िशा के मलकानगिरी में देसी मुर्ग़ा पकाया था. इस देसी चिकन की ख़ास बात ये थी कि इसमें कोई भी गर्म मसाला नहीं डाला गया था.
आंध्र प्रदेश के कुटिया आदिवासी समुदाय के सहदेव के घर पर हमने कांदा और सूखी मछली बनाई थी. लेकिन पिछले कुछ दिन से मैं आदिवासी इलाक़ों में नहीं जा सका हूँ, तो सोचा दिल्ली में ही कुछ पकाया जाए.
आज इन तीनों राज्यों के अलग अलग आदिवासी समुदायों के साथ पकाए गए मटन और चिकन की तर्ज़ पर हमने मटन पकाया है. इस मटन की ख़ास बात ये होगी कि इसमें गर्म मसाला नहीं डाला जाएगा. लेकिन इसके बावजूद यह बेहद स्वादिष्ट बनेगा.
पूरा एपिसोड देखिये और ख़ुद बना कर खाएँ. तभी आप विश्वास कर पाएँगे.

