पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्दवान में राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार (Pradip Mazumdar) के पैतृक घर पर स्थानीय आदिवासियों द्वारा हमला और तोड़फोड़ करने का दावा किया जा रहा है.
कहा जा रहा है कि पूर्व बर्दवान के रैना गांव में मंत्री के पारिवारिक तालाब से मछली चुराने के आरोप में एक आदिवासी युवक पर बेरहमी से पिटा गया. जिसके बाद मंगलवार को 300 से ज्यादा ग्रामीणों ने प्रदीप मजूमदार के पैतृक घर पर हमला और तोड़फोड़ किया है.
क्या है पूरा मामला
दावा किया जा रहा है कि सोमवार को प्रदीप मजूमदार के तालाब की रखवाली करने वाले पांच लोगों ने कथित तौर पर आदिवासी युवक को मछली पकड़ने के जाल के साथ रंगे हाथों पकड़ा. उसके बाद उन्होंने युवक की बांस के डंडों से पिटाई की.
वहीं ग्रामीणों के द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि आदिवासी युवक को प्रताड़ित किया गया है. जिसके कारण ग्रामीणों ने यह मांग कि है की मंत्री के करीबी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
इस घटना के बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया.
पूर्वी बर्दवान प्रशासन के सूत्रों ने कहा है की पुलिस ने सोमवार को पीड़ित आदिवासी युवक पर अत्याचार करने के आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया था.
जिसके कारण इलाके में यह कहानी फैल गई है कि पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि दोषी मंत्री का करीबी हैं.
सूत्रों ने यह भी बताया है कि पुलिस के कार्रवाई नहीं करने पर मंगलवार को भीड़ मंत्री के घर की ओर बढ़ी. भीड़ जबरन घर में घुस गई, बगीचों को नुकसान पहुंचाया, फर्नीचर की तोड़फोड़ की और खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए.
लेकिन इस दौरान पुलिस ने कुछ नहीं किया. पुलिस मूकदर्शक बनकर सब कुछ देख रही थी क्योंकि बड़ी भीड़ पुलिस के नियंत्रण से बाहर थी.
मजूमदार के घर पर हमला होने के बाद पुलिस ने कहा कि दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं. एक मामला सोमवार का है जिसमें आदिवासी युवक पर अत्याचार किया गया था और दूसरा मामला मंगलवार का है जिसमें मंत्री के घर पर तोड़फोड़ की गई.
इस मामले पर पूर्वी बर्दवान के पुलिस अधीक्षक अमनदीप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमने दोनों घटनाओं की जांच शुरू कर दी है और कानूनी कार्रवाई करेंगे.
इसके अलावा उन्होंने बताया है कि मंगलवार को भीड़ ने मंत्री के घर में घुसकर पुलिस पर भी हमला किया था.
हालांकि अभी स्थिति सामान्य हो गई है और किसी भी अन्य अप्रिय घटना से बचने के लिए एक बड़ी पुलिस टुकड़ी तैनात कर दी गई है.
लेकिन प्रदीप मजूमदार का दावा है कि उनके पैतृक घर पर हुई घटना से उनका कोई संबंध नहीं है. इसके अलावा उन्होंने मंगलवार को हुए हमले में सीपीएम नेताओं (CPM leaders) का हाथ होने का आरोप लगाया है.
उन्होंने यह भी कहा है कि स्थानीय युवाओं के जीवन की बेहतरी के लिए मछली पालन शुरू करने के लिए उन्होंने अपना पारिवारिक तालाब छोड़ दिया है. ऐसे में जो लोग इस तालाब की रखवाली करते हैं, उन्होंने किसी को रंगे हाथों पकड़ लिया और कथित तौर पर उसकी पिटाई कर दी.
उनका कहना है कि हालांकि सोमवार को इस मामले को सुलझा लिया गया था. लेकिन यह स्थानीय सीपीएम नेता थे, जिन्होंने ग्रामीणों को उकसाया और भीड़ को उनके घर पर हमला करने के लिए प्रेरित किया.
वहीं इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बर्धवान के दुर्गापुर के एक मंत्री ने कहा है कि वह वहां नहीं रहते है. लेकिन वह हमेशा स्थानीय लोगों के कल्याण का ख्याल रखते हैं.
उन्होंने यह भी कहा है कि उनके ग्रामीणों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं क्योंकि उनके पूर्वजों ने तीन स्कूल स्थापित किए थे. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने भी एक नया कॉलेज स्थापित किया है.
लेकिन मंत्री के दावे को सीपीएम नेताओं ने खारिज कर दिया है और यह कहा है कि मंगलवार को जो हुआ को लोगों का भष्टाचार में उनकी भूमिका के लिए तृणमूल नेताओं के खिलाफ चल रहे गुस्से का हिस्सा था.
इस मामले पर पूर्वी बर्दवान में सीपीएम राज्य सचिवालय के सदस्य अपूर्बा चट्टोपाध्याय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसमें सीपीएम की कोई भागीदारी नहीं थी. यह तृणमूल के खिलाफ आम लोगों का स्वत:स्फूर्त आक्रोश का विस्फोट था और यह भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए तृणमूल नेताओं के खिलाफ लोगों के गुस्से को दर्शाता है.
ऐसा कहा जा सकता है कि मामला चाहे किसी का भी हो या कोई भी हो लेकिन कुछ राजनीतिक नेता उस मामले को राजनीतिक मुद्दा बना देते है और फिर उस मामले को लेकर एक दूसरे पर आरोप या प्रतिआरोप करते रहते है.
कई बार ऐसा करने से लोगों का ध्यान पीड़ित और घटना या मामले से हटकर नेता पर चलता जाता है. जिसके कारण आरोपियों को सजा और पीड़ित को न्याय नहीं मिल पता है.