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त्रिपुरा: गरीबी से त्रस्त आदिवासी महिला ने अपनी नवजात बच्ची को बेचा, CM ने मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी

इस मामले के लिए सीपीआई (एम) के जितेंद्र चौधरी ने बीजेपी सरकार और टिपरा मोथा की अगुवाई वाली त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद को वित्तीय संकट में घिरे इन लोगों को सहायता नहीं पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराया है.

अत्यंत गरीबी से जूझ रही त्रिपुरा की एक आदिवासी महिला द्वारा अपने नवजात शिशु को बेचने का मामला सामने आया है. धलाई जिला निवासी आदिवासी महिला ने 5,000 रुपये में अपनी नवजात बच्ची को एक दंपत्ति को बेच दिया था.

अब इस मामले में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने सोमवार को कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव से धलाई जिले की एक आदिवासी महिला द्वारा कथित तौर पर अपने नवजात बच्चे को बेचने पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

दरअसल, जिले के गंदाचेर्रा उपमंडल के तारबन कॉलोनी की रहने वाली महिला ने 22 मई को घर पर एक बेटी को जन्म दिया. लेकिन अत्यधिक गरीबी के कारण अगले दिन उसने कथित तौर पर बच्चे को हेज़ामारा में एक जोड़े को 5,000 रुपये में बेच दिया.

महिला के पहले से ही दो बेटे और एक बेटी थी. वहीं पांच महीने पहले महिला के पति की मृत्यु हो गई.

सोशल मीडिया पर खबर सामने आते ही प्रशासन हरकत में आया और बच्चे को बरामद कर उसकी मां को सौंप दिया.

इस मामले में मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “पिछले शासन के दौरान बच्चों की बिक्री आम थी. अब अचानक यह उस जिले से हुआ जहां सरकार कल्याण के लिए विकास परिव्यय का 10 प्रतिशत अतिरिक्त धन प्रदान करती है. ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी. प्रशासन ने नवजात को बरामद कर लिया और उसे उसकी माँ को सौंप दिया, साथ ही परिवार को आर्थिक सहायता भी दी.”

मुख्यमंत्री साहा ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव से घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

उन्होंने कहा, “समस्याएं हो सकती हैं लेकिन हम हमेशा लोगों की समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं. हमें लोगों को जागरूक करने के लिए एक सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए. सरकार भविष्य में इस तरह के विकास को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगी.”

इसके अलावा साहा ने आरोप लगाया कि विपक्ष इसे मुद्दा बनाना चाहता है लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे क्योंकि सरकार लोगों के लिए काम कर रही है.

क्या है पूरा मामला?

22 मई को महिला ने अनुमंडलीय अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया. अगले दिन उसने बच्चे को 5,000 रुपये में एक दंपत्ति को बेच दिया. रिपोर्टों के मुताबिक, महिला के तीन अन्य बच्चे हैं और उसके पति ने पांच महीने पहले गरीबी के कारण आत्महत्या कर ली थी, जब वह गर्भवती थी.

घटना के तुरंत बाद विपक्षी नेता सीपीआई (एम) के जितेंद्र चौधरी ने मुख्य सचिव जे के सिन्हा और धलाई के जिला मजिस्ट्रेट सजु वहीद ए से हस्तक्षेप की मांग की.

उन्होंने भाजपा सरकार और भाजपा के गठबंधन सहयोगी और त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) में सत्तारूढ़ टीआईपीआरए मोथा पार्टी को स्थिति के लिए जिम्मेदार बताते हुए कहा कि टीटीएएडीसी के कार्यकारी सदस्यों और राज्य सरकार के मंत्रियों ने लोगों, मुख्य रूप से आदिवासियों की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज कर दिया है.

इस मामले में जितेंद्र चौधरी ने कहा कि मैंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दूरदराज के इलाकों में मनरेगा के तहत काम की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है. मैंने पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की बुनियादी समस्याओं को हल करने का भी अनुरोध किया है.

धलाई के जिला मजिस्ट्रेट वहीद ने शनिवार को कहा कि मां और नवजात दोनों को गंदाचेर्रा के एक आश्रय गृह में भेज दिया गया है.

जिला मजिस्ट्रेट वहीद ने बताया कि महिला और उसके बच्चे गरीबी के कारण संकट में हैं, खासकर उसके पति की मौत के बाद. हालांकि, उसने अपने दस्तावेज और राशन कार्ड नहीं बेचे हैं. उन्होंने आगे बताया कि महिला को प्रशासन की ओर से कुछ सहायता दी गई है.

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