केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए सोमवार शाम को एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे. इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार की यह पहली उच्च स्तरीय बैठक होगी.
मणिपुर में एक वर्ष से अधिक समय से जातीय हिंसा का माहौल है.
बैठक शाम 4 बजे होगी और इसमें केंद्र, मणिपुर सरकार, सेना और अन्य सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. हालांकि, मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह बैठक में शामिल नहीं होंगे.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ अन्य सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में एक उच्च-स्तरीय बैठक में हिस्सा लेंगे.
मणिपुर की राज्यपाल अनुसूइया उइके ने रविवार को दिल्ली में शाह से मुलाकात की थी और समझा जा रहा है कि दोनों ने राज्य के मौजूदा हालात पर चर्चा की.
बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी.
तब से जारी हिंसा में कुकी और मैतेई समुदायों और सुरक्षा बलों के 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. जबकि 50 हज़ार से अधिक लोग बेघर हो गए और इनमें से कई अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.
पूर्वोत्तर राज्य में पिछले कुछ हफ़्तों में हिंसा की नई घटनाएं देखने को मिली हैं. जिसमें मोरेह के पास एक स्कूल की इमारत में आग लगा दी गई और एक लापता व्यक्ति का सिर कटा शव बरामद किया गया.
इसके अलावा पिछले हफ़्ते सशस्त्र उग्रवादियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अग्रिम सुरक्षा दल के काफिले पर कांगपोकपी जिले में हमला कर दिया था. जिसमें एक ड्राइवर और एक सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए थे.
मोहन भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर जताई थी चिंता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने 10 जून को मणिपुर में एक साल के बाद भी शांति नहीं कायम होने पर चिंता जताई थी.
भागवत ने नागपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है. दस साल पहले मणिपुर में शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है.’’
उन्होंने कहा था, ‘‘मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा. चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है.’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं.