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BJP त्रिपुरा को दूसरा मणिपुर बनाने की साजिश कर रही है : गौरव गोगोई

गौरव गोगोई ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगियों ने अपने राजनीतिक हितों के लिए योजनाबद्ध तरीके से जातीय हिंसा को भड़काया है.

त्रिपुरा के धलाई जिले में एक 21 वर्षीय आदिवासी छात्र की मौत के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति है. इस घटना के बाद गंडतविसा के आस-पास के गांवों में 40 से ज़्यादा घरों और 25 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया और 10 से ज़्यादा वाहनों में भी आग लगा दी गई.

वहीं एक तरफ जहां ग्रामीणों ने हिंसाग्रस्त गंडातविसा के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया. तो दूसरी तरफ त्रिपुरा सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता टिंकू रॉय और प्रदेश अध्यक्ष सुबल भौमिक को जिले के गंडतविसा इलाके में ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा.

इस सब के बीच लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि वह 12 जुलाई को धलाई जिले के गंडतविसा में छात्र की मौत के बाद बड़ी संख्या में घरों और दुकानों को जलाने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई न करके त्रिपुरा को मणिपुर बनाने की साजिश कर रही है.

एआईसीसी नेता तारिक अनवर के साथ गोगोई ने दो दिनों तक त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया, पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की.

साथ ही उन्होंने राज्यपाल से गंडतविसा में विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हिंसा और हमलों और जातीय संघर्ष को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.

गोगोई ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगियों ने अपने राजनीतिक हितों के लिए योजनाबद्ध तरीके से जातीय हिंसा को भड़काया है.

उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि त्रिपुरा भाजपा के शासन में मणिपुर की स्थिति की ओर बढ़ रहा है, जहां लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. मणिपुर में भी जातीय आधार पर यही हुआ और सरकार की निष्क्रियता के कारण यह धीरे-धीरे एक आपदा में बदल गया और सत्ताधारी पार्टी ने इसमें संदिग्ध भूमिका निभाई.”

हमलों के कारण गंडातविसा के करीब 165 स्थायी निवासी बेघर हो गए हैं और अब शिविरों में शरण लिए हुए हैं.

गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने न तो अपराध के एक भी आरोपी को गिरफ्तार किया और न ही पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने का आश्वासन दिया. बल्कि सरकार की उदासीनता के खिलाफ आवाज उठाने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी.

गोगोई ने आगे कहा कि पुलिस ने उन्हें जातीय संघर्ष के पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं दिया और उनके दौरे को रोक दिया.

उन्होंने कहा, “त्रिपुरा को छोड़कर देश में कहीं भी पंचायत चुनावों के दौरान विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर इस तरह के क्रूर हमले नहीं हुए. कुशासन और अविकसितता के कारण भाजपा ने जमीनी स्तर पर अपना आधार खो दिया है इसलिए उसे डर है कि अगर विपक्ष चुनाव लड़ेगा तो वह चुनाव हार जाएगी. हम संसद में भाजपा की क्रूरता और अलोकतांत्रिक गतिविधियों को उठाएंगे.”

गोगोई ने कहा, ”पूरे परिदृश्य को देखकर, खासकर त्रिपुरा में राजनीतिक आतंकवाद की दो दिवसीय जांच में हम कह सकते हैं कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविध समुदायों के लिए जाना जाने वाला यह राज्य अब बढ़ते तनाव से जूझ रहा है.”

उन्होंने कहा कि माकपा उम्मीदवार राजनीतिक आतंक का शिकार हुआ और कांग्रेस नेताओं के घर जला दिए गए तथा कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन पर पुलिस के सामने हमला किया गया.

वहीं AICC नेता और लोकसभा सदस्य तारिक अनवर ने आरोप लगाया, ”राज्य प्रशासन, जो मूक दर्शक की भूमिका निभा रहा है. उसने हमें गंडातविसा जाने से रोक दिया, जिससे भाजपा नीत सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं. त्रिपुरा की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर प्रधानमंत्री के पास कोई टिप्पणी नहीं है, जिसका जवाब उन्हें संसद में देना है.”

इस बीच, कांग्रेस विधायक और एआईसीसी सदस्य सुदीप रॉय बर्मन ने ऐसी गंभीर स्थिति में न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया की भूमिका की आलोचना की और आरोप लगाया कि ये सभी लोकतांत्रिक स्तंभ भाजपा नीत सरकार के दबाव में झुक गए हैं.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ये मामला 7 जुलाई को आनंद मेले में शुरू हुआ था. जहां दो गुटों के बीच हुए विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया. इस हमले में परमेश्वर रियांग नाम का छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिसके बाद रियांग को अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.

छात्र की मौत के बाद 12 जुलाई को कई बस्तियों में आगजनी और कुछ घरों पर हमले की घटनाएं हुई.

जिसके बाद राज्य सरकार ने बुधवार को हिंसा में प्रभावित 165 से अधिक परिवारों के लिए 1.54 करोड़ रुपये के मुआवजे पैकेज की घोषणा की.

सूचना और सांस्कृतिक मामलों के निदेशालय द्वारा जारी एक बयान में राज्य सरकार ने कहा, “गंडातविसा में हाल ही में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संबंध में राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए वित्तीय सहायता मंजूर की है. मृतक परमेश्वर रियांग के पिता खड़गराम रियांग के पक्ष में 6 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 165 प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 1 करोड़ 54 लाख रुपये भी मंजूर किए हैं. अंतरिम राहत के रूप में उनमें से प्रत्येक को पहले से ही 25,000 रुपये की दर से वित्तीय सहायता दी जा रही है.”

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