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‘मणिपुर में शांति की उम्मीद’ संसद में पहली बार बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को मणिपुर का इतिहास पता है, उन्हें यह भी पता है कि यहां हिंसा का एक अलग ही संघर्ष रहा है. इस संघर्ष की नींव काफी गहरी है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा मणिपुर संकट से निपटने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर बार-बार निशाना साधे जाने के बीच आख़िरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ी.

बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान पीएम ने बताया कि उनकी सरकार इस संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.

पीएम ने कहा कि मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है. वहां जो घटनाएं घटीं, 11 हजार से ज्यादा FIR ​दर्ज की गई हैं, 500 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं. इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं. इसका मतलब है कि शांति की उम्मीद है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “मणिपुर के बारे में मैंने पिछले सत्र में विस्तार से बात की थी. लेकिन मैं एक बार फिर दोहराना चाहूंगा. मणिपुर में स्थिति को स्थिर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. वहां जो भी घटनाएं हुई हैं, उनमें 11 हज़ार से अधिक FIR दर्ज की गई हैं. मणिपुर एक छोटा सा राज्य है. 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है.”

पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि विपक्ष ने आग में घी डालने का काम किया है. ऐसी स्थिति में राजनीति से ऊपर उठकर काम करना ज्यादा जरूरी रहता है.

उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर में अंतर-जनजाति अत्याचार एक बहुत ही गहरी जड़ वाला मुद्दा है. मणिपुर के अधिकतर हिस्सों में आम दिनों की तरह स्कूल, कॉलेज और दफ्तर खुल रहे हैं, राज्य में परीक्षाएं भी सामान्य तरीके से हुई हैं.”

उन्होंने कहा, “जो भी तत्व मणिपुर की हिंसा को लेकर आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें मैं आगाह करता हूं कि ये हरकतें बंद करदें.”

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पहले ऐसा नहीं देखा गया था कि सरकार का कोई मंत्री मणिपुर में कई दिनों तक रहा होगा. गृह राज्य मंत्री तो हफ्तों तक मणिपुर में रहे हैं, कई बार अधिकारियों के साथ बातचीत की है. शांति स्थापित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जो विपक्ष इस समय मणिपुर मुद्दे पर राजनीति करने का काम कर रहा है, मणिपुर की जनता ही उन लोगों को सिरे से नकार देगी.

अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने मणिपुर के हिंसक इतिहास के बारे में भी विस्तार से बताया. उनके मुताबिक इससे पहले भी ऐसे संघर्ष देखे जा चुके हैं, यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ एक कार्यकाल में इस प्रकार की स्थिति देखने को मिल रही हो.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों को मणिपुर का इतिहास पता है, उन्हें यह भी पता है कि यहां हिंसा का एक अलग ही संघर्ष रहा है. इस संघर्ष की नींव काफी गहरी है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस को नहीं भूलना चाहिए इसी वजह से 10 बार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लग चुका है…कुछ मुद्दे तो होंगे ही.

उन्होंने कांग्रेस को 1993 में मणिपुर में हुई उथल-पुथल की भी याद दिलाई, जब वह केंद्र में सत्ता में थी.

मोदी ने कहा, “हम सभी को राजनीति से ऊपर उठकर वहां की स्थिति को सामान्य बनाने में योगदान देना चाहिए. यह हमारा कर्तव्य है.”

हालांकि, पीएम मोदी के इस आश्वासन और बयान से कांग्रेस सहमत नहीं है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तो पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा है.

उन्होंने मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी की आलोचना की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में रमेश ने कहा कि मोदी ने अभी तक संकटग्रस्त राज्य का दौरा नहीं किया है और सामान्य स्थिति के उनके दावे हैरान कर देने वाले हैं.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “आज राज्यसभा में इस मुद्दे पर महीनों की पूर्ण चुप्पी के बाद नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने यह हैरान कर देने वाला दावा किया कि मणिपुर में स्थिति सामान्य है.”

उन्होंने आगे लिखा, “वास्तव में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है जैसा कि इनर मणिपुर के सांसद ने 1 जुलाई को लोकसभा में बताया था. और नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 3 मई, 2023 की रात को हिंसा भड़कने के बाद से अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है, न ही उन्होंने राज्य के राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा गया.”

विपक्ष ने पहले आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री जानबूझकर मणिपुर की स्थिति से मुंह मोड़ रहे हैं. संसद में उनके भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने बार-बार मणिपुर से जुड़े नारे लगाए.

मणिपुर में पिछले साल मई से ही मैतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है.

प्रधानमंत्री ने राज्यसभा को बताया कि राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र, मणिपुर सरकार और अन्य हितधारकों के बीच बातचीत जारी है.

प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर पर यह बयान लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान विपक्ष द्वारा मणिपुर मुद्दे पर “मणिपुर के लिए न्याय” के नारे लगाने के एक दिन बाद आया है.

27 जून को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण में मणिपुर संकट का मुद्दा नहीं उठा था.

वहीं इस मुद्दे को उठाते हुए, इनर मणिपुर से नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद ए बिमोल अकोईजाम ने सोमवार देर रात राज्य की “अनदेखी” करने के लिए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था.

अकोईजाम ने कहा था, “क्या यह चुप्पी पूर्वोत्तर और विशेष रूप से मणिपुर के लोगों को यह संदेश दे रही है कि भारतीय राज्य की योजनाओं में आपका कोई महत्व नहीं है?”

आधी रात के आसपास लोकसभा को संबोधित करते हुए, विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी ने भी अपने भाषण के दौरान अन्य मुद्दों के अलावा मणिपुर संकट को भी उजागर किया था.

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