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वायनाड के चाय बागानों से आदिवासी गांव तक, प्रियंका गांधी का दस दिवसीय दौरा

कहा गया है कि यह कदम इस वजह से ज़रूरी है क्योंकि अक्सर उन पर यह आरोप लगता है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहती हैं.

केरल की वायनाड संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा इन दिनों अपने निर्वाचन क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं.

यह उनका अब तक का सबसे लंबा दौरा है और इसके ज़रिए उन्होंने आदिवासी समुदाय की शिकायतें सुनीं, विकास प्रगति की स्थिति जाँची, और स्थानीय समस्याओं को सीधे समझने की कोशिश की.

प्रियंका गांधी वाड्रा 11 सितंबर 2025 को वायनाड आयीं और उन्होंने लगभग दस दिन का दौरा शुरू किया. इस दौरे का एक प्रमुख हिस्सा था कि वह आदिवासी बस्तियों तक पहुँचें.

उन्होंने चोलनायक्कर आदिवासी बस्ती का ट्रेक किया और जंगलों और पहाड़ियों से होते हुए चलती हुई बस्ती में पहुँचीं.

वहाँ पहुंच कर आदिवासी लोगों ने उनसे अपने घरों की स्थिति, पुलिया, सड़क सुविधाएँ, पानी की सप्लाई जैसी मूलभूत परेशानियों के बारे में बात की.

प्रियंका ने उन प्रतिनिधियों को साथ ले जाकर जंगल विभाग के निरीक्षण बंगले (Inspection Bungalow) में बैठकर उनकी माँगों पर चर्चा की.

गांव वालों ने विशेष रूप से आवास और पुलों का उल्लेख किया, जो खासतौर पर कठिन मौसम और बारिश के समय जीवन को और मुश्किल बना देते हैं.

दूसरी तरफ़ वायनाड में प्रियंका गांधी की योजना है कि वह यहाँ एक घर खरीदें जिससे ज़मीनी स्तर पर लगातार लोगों से मिलना जुलना संभव हो सके.

कहा गया है कि यह कदम इस वजह से ज़रूरी है क्योंकि अक्सर उन पर यह आरोप लगता है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहती हैं.

इसके साथ ही वे मलयालम भाषा सीखने की कोशिश कर रही हैं, ताकि स्थानीय लोगों से संवाद सहज हो सके.

उनके दल के लोग बता रहे हैं कि प्रियंका की टीम वायनाड में तीन ऐसी संपत्तियों को देख चुकी है जो सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ी हों और चारों ओर से पहुँच योग्य हों.

हालांकि सुरक्षा का मसला एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि इस इलाके में पूर्व में माओवादी गतिविधियाँ रही हैं और अभी भी कुछ हद तक सुरक्षा की चिंता बनी हुई है.

इस दौरे के दौरान प्रियंका ने स्थानीय लोगों, आदिवासी किसानों, स्कूल महिलाओं, चाय बागानों के मजदूरों, और सामाजिक नेताओं से मिलना जुलना किया.

उन्होंने मनंथावडी के Priyadarshini चाय फैक्ट्री में काम करने वाले आदिवासी कामगारों से बातचीत की.

साथ ही स्त्री स्वास्थ्य, पेयजल परियोजनाओं और सड़कों की हालत जैसे प्रोजेक्ट्स की स्थिति देखी.

वायनाड जिला प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. लेकिन यहाँ सड़कें, अस्पताल, चिकित्सा सुविधाएँ अभी भी पीछे हैं.

नज़दीकी मेडिकल कॉलेज कालीकट है, वहाँ पहुँचने में लगभग तीन घंटे लगते हैं, जिसमें पहाड़ी मार्ग और संकीर्ण रास्ते शामिल हैं.

ऐसे में अब देखना की प्रियंका गांधी के इस दौरे से यहाँ की स्तिथि में कितना बदलाव आता है.

स्थानीय कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस तरह के दौरे चुनावी मौसम में विश्वास बहाल करने और जनसंपर्क मजबूत करने में मदद करते हैं.

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