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महाराष्ट्र : पालघर में मजदूरी के पैसे देने के नाम पर आदिवासी का किया अपहरण

महाराष्ट्र के पालघर से 19 साल के नाबलिग आदिवासी के अपहरण का मामला सामने आया है. अपहरणकर्ताओं ने पीड़ित को बचे हुए वेतन देने के बहाने घटनास्काथल में बुलाया था.

1 नवंबर को महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) से 19 साल के आदिवासी लड़के का अपहरण करने का मामला सामने आया है. सोलापुर (Solapur) के किसान और उसके दो साथियों ने पीड़ित को बची हुई मजदूरी देने के बाहने से मिलने को बुलाया था.

जिसके बाद वे उसे अपने साथ जबरदस्ती गाड़ी में सोलापुर ले गए. जहां उसके साथ अगले 53 घंटे तक मार-पिटाई की गई और उसे गन्ने के खेत में जबरदस्ती काम करवाया गया.

पीड़ित को स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने पुलिस की सहायता से बचाया. जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से परिवार वालों ने 5 नवंबर को मामले की शिकायत दर्ज की थी.

इस पूरे मामले को भारतीय दंड संहिता, बंधुआ मजदूरी (उन्मूलन) अधिनियम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया गया है.

हालांकि पुलिस की तरफ अभी तक किसी की भी गिरफ़्तारी नहीं की गई है. सामाजिक कार्यकर्ता से मिली जानकारी के मुताबिक अपहरण का पता चलते ही पीड़ित के पिता ने अपहरणकर्ताओं को कॉल किया था. पीड़ित के पिता आसाराम ने अपहरणकर्ताओं से ये आग्रह किया की वो उनके बेटे को छोड़ दे.

लेकिन अपहरणकर्ताओं ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें धमकी दी की अगर आसाराम ने पुलिस को इसके बारे में कोई भी जानकारी दी तो उसके बेटे को वो मार देंगे.

पीड़ित के पिता ने बताया की मेरा बेटा और मै उस समय रोड बनाने का कार्य कर रहे थे. तभी उसके पास अपहरणकर्ता (केसरकर) का कॉल आया था. कॉल के दौरान अपहरणकर्ता ने उसे मस्तान नाका ब्रिज के पास मिलने के लिए बुलाया था.

1 नवंबर को सुबह करीब 11:30 बजे वे केसरकर से मिलने गया. जहां केसरकर और उसके साथियों द्वारा पीड़ित का अपहरण किया गया था.

पुलिस स्टेटमेंट के दौरान पीड़ित ने मामले की पूरी जानाकारी दी.

स्टेटमेंट से मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल यानि 22 सितंबर 2022 को उसे पता चला केसरकर को अपने गन्ने के खेत में 12 मजदूरों की जरूरत है.

केसरकर ने सभी 12 मजदूरों को ये वादा किया की एक टन गन्ने की खेती पर वे 275 रूपये वेतन देगा. वहीं अक्टूबर 2022 से जनवरी 2023 तक सभी मजूदरों ने मिलकर 2500 टन की खेती कर दी थी और फरवरी 2023 को वो अपने गाँव वापस आ गए. घर पहुंचते ही वो केसरकर से अपने बची हुई मजदूरी के पैसे मांगने लगा.

जिसके फलस्वरूप केसरकर ने गुस्से में आकर नाबालिग लड़के का अपहरण किया.

इस पूरी घटना में ये पता चला है की पीड़ित का सारा परिवार अपने जीवन व्यापन के लिए किसी ना किसी मजदूरी कार्य से जुड़ा हुआ है.

सिर्फ पीड़ित की ही नहीं बल्कि ये देश के लगभग हर आदिवासी की कहानी है. आदिवासी समाज में ऐसे कई परिवार है जो आज अपने जीवन व्यापन के लिए मजदूरी करते है. क्योंकि कई इलाकों में आदिवासियों को उनकी वन भूमि से अलग कर दिया गया है.

जिसके कारण उन्हें मजदूरी का काम करना पड़ता है. जहां केसरकर जैसे व्यापारी उनका शोषण करते हैं.

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