HomeAdivasi Dailyछत्तीसगढ़ : स्कूल तक नहीं पहुंचने वालों में आदिवासी बच्चों की संख्या...

छत्तीसगढ़ : स्कूल तक नहीं पहुंचने वालों में आदिवासी बच्चों की संख्या सबसे अधिक है

आरटीई फोरम के सर्वे के अनुसार आदिवासी इलाकों में 47 प्रतिशत बच्चों ने 14 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते स्कूल छोड़ दिया. इस सर्वे में आदिवासी इलाकों की शिक्षा स्थिति से संबंधित कई अन्य बातें भी बाताई गई है.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के 11 ज़िलों में स्कूल छोड़ देने वाले या फिर स्कूल तक नहीं पहुंच पाने वाले बच्चों में सबसे ज़्यादा संख्या आदिवासी बच्चों की है.

एक सर्वे के अनुसार इन ज़िलों में 47 प्रतिशत बच्चों ने 14 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते स्कूल छोड़ दिया.  

यह सर्वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम फोरम (Right to education Act forum) नाम के संगठन ने किया है.  

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 21 नवंबर को आरटीई फोर्म (RTE forum) और आर्थिक अनुसंधान केंद्र ने इस सर्वे की ज़रूरी बातों को सार्वजनिक किया.

सर्वे के ज़रिए आदिवासी इलाकों की शिक्षा से संबंधित कई समस्याएं सामाने आई है. जिसमें से मुख्य समस्या ये है की 11 ज़िलों के आदिवासी इलाकों में  14 साल की उम्र तक 47 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है.

वहीं सर्वे के दौरान कई अन्य बातें भी सामाने आई. जैसे 65 प्रतिशत स्कूलों में विकलांग बच्चों के लिए रेंप की सुविधा मौजूद है. जो स्कूलों द्वारा एक अच्छा कदम है.

लेकिन एक और गंभीर समस्या जो सर्वे में सामाने आई है की 27 प्रतिशत स्कूलों में दो से भी कम महिलाएं अध्यापक मौजूद है.

2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी साक्षरता दर 50 प्रतिशत के आस-पास है. यानि आधी से ज़्यादा आदिवासी आबादी ऐसी है जो अपना नाम तक नहीं लिख सकती है.

आदिवासी इलाकों में शिक्षा के प्रति जागरुकता धीरे धीरे बढ़ रही है. लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि इन इलाकों में स्कूलों में जिस तरह की सुविधाएं दी जानी चाहिए वे अभी तक मौजूद नहीं हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments