HomeAdivasi Dailyझारखंड: जादू-टोने के शक में 75 वर्षीय आदिवासी महिला की हत्या

झारखंड: जादू-टोने के शक में 75 वर्षीय आदिवासी महिला की हत्या

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि कृष्ण हेम्ब्रम को शक था कि सिंगो किश्कू ने उसके परिवार के दो लोगों—उसके पिता और भाई—की मौत में कोई काला जादू किया था.

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले से एक बेहद दुखद और सोचने पर मजबूर कर देने वाली घटना सामने आई है.

घाटशिला के घंघोरी गाँव में रहने वाली 75 साल की एक बुज़ुर्ग आदिवासी महिला, सिंगो किश्कू की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि उस पर जादू-टोना करने का शक था.

यह वारदात शनिवार रात की है, जब उनके ही पड़ोसी कृष्ण हेम्ब्रम ने उनके घर में घुसकर उन्हें मार डाला.

पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने दरांती से महिला का गला काट दिया.

अगले दिन जब गाँव वाले वहाँ पहुँचे तो उन्होंने महिला का खून से सना शव देखा और पास ही वो दरांती भी पड़ी हुई थी जिससे हत्या की गई थी.

पुलिस को सूचना मिलते ही वह मौके पर पहुँची और महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि कृष्ण हेम्ब्रम को शक था कि सिंगो किश्कू ने उसके परिवार के दो लोगों—उसके पिता और भाई—की मौत में कोई काला जादू किया था.

उसी शक में उसने यह खौफनाक कदम उठाया।

यह घटना इस बात को और भी चिंताजनक बनाती है कि झारखंड जैसे राज्यों में आज भी अंधविश्वास बहुत गहराई तक फैला हुआ है.

‘डायन’ या ‘जादू-टोना’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर लोगों को परेशान करना, मारना या समाज से अलग कर देना बहुत आम हो गया है.

अदालतें और सरकारें कई बार कह चुकी हैं कि ऐसा करना पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, देश के ग्रामीण इलाकों, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में, ऐसे मामलों की संख्या लगातार देखी जा रही है.

अकेले झारखंड में साल 2000 से 2021 के बीच जादू-टोने के नाम पर हत्या के 593 से ज़्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

इस तरह की घटनाओं में ज़्यादातर महिलाएँ, खासकर वृद्ध, विधवा और अकेली महिलाएँ निशाना बनती हैं.

लोग किसी की मौत, बीमारी या फसल खराब होने जैसी आम बातों को भी ‘डायन’ या ‘काला जादू’ से जोड़कर मासूम लोगों को निशाना बना लेते हैं.

झारखंड में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ‘डायन प्रथा रोकथाम कानून’ बनाया गया है.

लेकिन फिर भी बहुत सारे मामलों में आरोपी बच जाते हैं क्योंकि लोग डर के मारे शिकायत नहीं करते या समाज का दबाव इतना होता है कि आरोप वापस ले लिए जाते हैं.

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