HomeAdivasi Dailyमध्य प्रदेश: वन विभाग ने सतना के आदिवासियों को किया बेघर

मध्य प्रदेश: वन विभाग ने सतना के आदिवासियों को किया बेघर

इस ज़मीन पर बने जिन घरों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ा गया है, वहां करीब पाँच दशकों से पचास आदिवासी परिवार रहते हैं.

मध्य प्रदेश के वन विभाग ने मंगलवार को सतना ज़िले की सिंहपुर रेंज में आने वाली ज़मीन पर करीब 50 साल से रह रहे आदिवासियों के घरों को ध्वस्त कर दिया.

वन विभाग ने इस ज़मीन के मामले में कोर्ट के आदेश का हवाला दिया है. विभाग ने यहां बने घरों को अतिक्रमण बताया.
वन विभाग का कहना है कि यह ज़मीन प्लांटेशन के लिए आरक्षित 40 हेक्टेयर का हिस्सा है और आदिवासियों ने इस ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है.

वन विभाग की टीम करीब ढाई सौ से ज़्यादा पुलिस जवानों के साथ भूमि से अतिक्रमण हटाने पहुंची थी. वन विभाग के एसडीओ फॉरेस्ट लाल सुधाकर सिंह के नेतृत्व में अतिक्रमण को हटाने का काम पूरा किया गया.

अतिक्रमण हटाने का यह कार्य करीब 3 घंटे तक चला. इस दौरान जंगल के हर कोने में पुलिस बल तैनात रहे जिससे कोई भी व्यक्ति अतिक्रमण को रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन न कर सके.

दरअसल, इस ज़मीन पर बने जिन घरों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ा गया है, वहां करीब पाँच दशकों से लगभग पचास आदिवासी परिवार रहते हैं.

वन विभाग ने काफ़ी समय पहले इस अतिक्रमण के खिलाफ़ कोर्ट में केस किया था. अदालत के आदेश में भी इस ज़मीन पर बने घरों को अवैध निर्माण बताया गया था और इस भूमि को खाली करने का आदेश दिया था.

कई साल पुराने इस आदेश पर वन विभाग की टीम कार्यवाही नहीं कर पा रही थी. लेकिन मंगलवार को जिला प्रशासन, पुलिस फोर्स और वन विभाग की टीमों ने अचानक ही इन आदिवासियों की बस्ती को ध्वस्त कर दिया.

मंगलवार को वन विभाग ने न केवल आदिवासियों के घरों को तोड़ा बल्कि प्लांटेशन के लिए गड्ढे भी साथ-साथ खुदवा दिए.
वन विभाग की इस कार्यवाही को लेकर ये आदिवासी प्रशासन से बहुत नाराज़ है. इन आदिवासियों का कहना है कि विभाग ने उन्हें बेघर भले कर दिया है लेकिन वे इस जमीन को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे.

आदिवासियों ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि वन विभाग ने उनकी बस्ती को तो तोड़ दिया लेकिन इसी ज़मीन पर बने इशारा शाहपुरा आश्रम को ध्वस्त क्यों नहीं किया गया है.

इस बात पर स्पष्टीकरण देते हुए वन विभाग के एसडीओ लाल सुधाकर सिंह ने कहा कि आश्रम प्रबंधन के द्वारा नियमों के तहत वन अधिकार का पट्टा प्राप्त किया गया है. ऐसे में वहां कार्रवाई नहीं की जा सकती. लेकिन अगर आवंटित क्षेत्र से अधिक पर निर्माण किया गया होगा तो उस पर भी नियमों के अनुसार कार्रवाही की जाएगी.

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