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मध्यप्रदेश: भोपाल में 10 जून तक मनाया जाएगा महुआ महोत्सव, जाने क्या है खास

महुआ महोत्सव में देश के चार राज्यों से आदिवासी कलाकार प्रदर्शन करने आएंगे. इसके अलावा यहां पांरपरिक आदिवासी व्यंजन और बच्चों के लिए कठपुतली प्रदर्शन किया जाएगा.

मध्यप्रदेश (Tribes of Madhya Pradesh) की राजधानी भोपल में स्थित आदिवासी संग्रहालय (Bhopal tribal Museum) ने अपनी 11वी वार्षिकोत्सव बनाने रहे हैं. इस वार्षिकोत्सव को संग्रहालय ने महुआ महोत्सव (Mahua Mahotsav) का नाम दिया है

इस महोत्सव में 5 राज्यों से जनजातीय कलाकार अपनी संस्कृति और कला का प्रदर्शन करेंगे.

इसके अलावा इस महोत्सव में शामिल होने वाले अतिथियों के स्वाद का भी ध्यान रखा गया है. इस महोत्सव में आने वाले अतिथियों को आदिवासी घरों में बने वाले व्यंजन चखने का मौका भी मिलेगा.

महुआ महोत्सव की शुरूआत रानी दुर्गावती को समार्पित प्रस्तुति से की जाएगी. यह महोत्सव 7 जून से 10 जून तक चलने वाला है.

महोत्सव के पहले दिन लोक संगीत और वीरांगना रानी दुर्गावती नृत्य नाटिका की प्रस्तुति शाम 6 बजे होगी.

चार राज्यों से आएंगे आदिवासी कलाकार

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार महुआ महोत्सव में देश के चार राज्य गुजरात, ओडिशा, तेलंगाना और मणिपुर से जनजातीय कलाकारों को आमंत्रित किया गया है.

यह आदिवासी कलाकार अपने समाज से जुड़ी संस्कृति और पंरपरा का प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा मध्यप्रदेश से भी कई आदिवासी कलाकार प्रदर्शन करेंगे.

7 जून- बुंदेलखंड के लोक संगीत और गुजरात के आदिवासी कलाकार लोक नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

8 जून- बघेलखंड के लोग गीत और ओडिशा के आदिवासी कलाकार  लोक नृत्य करेंगे.

9 जून- निमाड़ के लोक संगीत के साथ तेलंगाना के आदिवासी कलाकारलोक नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

10 जून- मणिपुर के आदिवासी कलाकार लोक गीत और नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

इसके अलावा बच्चों का मन बहलाने के लिए कठपुतली प्रदर्शन भी होगा. वहीं महोत्सव के दिन दोपहर दो बजे शिल्प और व्यंजन मेले की शुरूआत होगी.

महुआ महोत्सव ही नाम क्यों दिया?

जनजातीय संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक मिश्र ने बताया कि इस कार्यक्रम का नाम महुआ महोत्सव इसलिए रखा गया, क्योंकि आदिवासियों के जीवन में महुआ का काफी महत्व है.

महुआ सिर्फ शराब बनाने के लिए नहीं, बल्कि कई पोषक तत्व बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा महुआ आदिवासियों के संस्कृति और पंरपरा से जुड़ा हुआ है.

महुआ को बढ़ाव देने की नीति और सच्चाई

भोपाल में महुआ महोत्सव का मकसद आदिवासी संस्कृति के साथ साथ महुआ के व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देना भी है. इसलिए मध्य प्रदेश में बनाई जा रही महुआ शराब का स्टॉल भी यहां पर लगाया गया है.

लेकिन इस मेले की शुरूआत में महुआ की शराब बेचने या परोसने की अनुमति नहीं दी गई. इस मेले में महुआ शराब को बेचने की अनुमति के बाद भी अभी तक सिर्फ़ 12 बोतल ही बेची जा सकी हैं.

यानि अभी तक इस स्टॉल से 10 हज़ार रूपए की शराब की बिक्री भी नहीं हुई है.

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपल में स्थित आदिवासी संग्रहालय ने अपनी 11वी वार्षिकोत्सव बनाने रहे हैं. इस वार्षिकोत्सव को संग्रहालय ने महुआ महोत्सव का नाम दिया है

इस महोत्सव में 5 राज्यों से जनजातीय कलाकार अपनी संस्कृति और कला का प्रदर्शन करेंगे.

इसके अलावा इस महोत्सव में शामिल होने वाले अतिथियों के स्वाद का भी ध्यान रखा गया है. इस महोत्सव में आने वाले अतिथियों को आदिवासी घरों में बने वाले व्यंजन चखने का मौका भी मिलेगा.

महुआ महोत्सव की शुरूआत रानी दुर्गावती को समार्पित प्रस्तुति से की जाएगी. यह महोत्सव 7 जून से 10 जून तक चलने वाला है.

महोत्सव के पहले दिन लोक संगीत और वीरांगना रानी दुर्गावती नृत्य नाटिका की प्रस्तुति शाम 6 बजे होगी.

चार राज्यों से आएंगे आदिवासी कलाकार

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार महुआ महोत्सव में देश के चार राज्य गुजरात, ओडिशा, तेलंगाना और मणिपुर से जनजातीय कलाकारों को आमंत्रित किया गया है.

यह आदिवासी कलाकार अपने समाज से जुड़ी संस्कृति और पंरपरा का प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा मध्यप्रदेश से भी कई आदिवासी कलाकार प्रदर्शन करेंगे.

7 जून- बुंदेलखंड के लोक संगीत और गुजरात के आदिवासी कलाकार लोक नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

8 जून- बघेलखंड के लोग गीत और ओडिशा के आदिवासी कलाकार  लोक नृत्य करेंगे.

9 जून- निमाड़ के लोक संगीत के साथ तेलंगाना के आदिवासी कलाकारलोक नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

10 जून- मणिपुर के आदिवासी कलाकार लोक गीत और नृत्य प्रदर्शन करेंगे.

इसके अलावा बच्चों का मन बहलाने के लिए कठपुतली प्रदर्शन भी होगा. वहीं महोत्सव के दिन दोपहर दो बजे शिल्प और व्यंजन मेले की शुरूआत होगी.

महुआ महोत्सव ही नाम क्यों दिया?

जनजातीय संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक मिश्र ने बताया कि इस कार्यक्रम का नाम महुआ महोत्सव इसलिए रखा गया, क्योंकि आदिवासियों के जीवन में महुआ का काफी महत्व है.

महुआ सिर्फ शराब बनाने के लिए नहीं, बल्कि कई पोषक तत्व बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा महुआ आदिवासियों के संस्कृति और पंरपरा से जुड़ा हुआ है.

महुआ को बढ़ाव देने की नीति और सच्चाई

भोपाल में महुआ महोत्सव का मकसद आदिवासी संस्कृति के साथ साथ महुआ के व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देना भी है. इसलिए मध्य प्रदेश में बनाई जा रही महुआ शराब का स्टॉल भी यहां पर लगाया गया है.

लेकिन इस मेले की शुरूआत में महुआ की शराब बेचने या परोसने की अनुमति नहीं दी गई. इस मेले में महुआ शराब को बेचने की अनुमति के बाद भी अभी तक सिर्फ़ 12 बोतल ही बेची जा सकी हैं.

यानि अभी तक इस स्टॉल से 10 हज़ार रूपए की शराब की बिक्री भी नहीं हुई है.

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