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मणिपुर में शांति मार्च पर प्रशासन ने पाबंदी लगाई

मैतई संगठनों की तरफ़ से जनजातीय बहुल इलाकों में शांति मार्च से हिंसा भड़कने की आशंका बनी हुई थी. सुरक्षा बलों ने भी मणिपुर प्रसासन को यह जानकारी दी थी.

8 मार्च, शुक्रवार यानि आज मणिपुर (Manipur) के आदिवासी बहुल इलाकों तक होने वाले सिविल सोसायटी मार्च पर प्रशासन ने पाबंदी लगा दी है. इस मार्च की घोषणा फेडरेशन ऑफ़ सिविल सोसायटी ऑरगेनाइजेशन्स (Federation of Civil Society Organizations) ने की थी.

मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी-जो (Kuki-ZO) समुदायों ने इस मार्च का विरोध किया था. इसके अलावा असम राइफ़ल्स की तरफ़ भी इस मार्च के दौरान हिंसा का ख़तरा बताया था. 

इस मार्च का विरोध करते हुए कुकी-ज़ो संगठनों का कहना था कि दरअसल यह मार्च मैतई संगठनों का शांति के नाम पर हिंसा भड़काने की कोशिश है.  प्रशासन की तरफ़ से यह चेतावनी जारी की गई है कि मार्च पर पाबंदी को तोड़ने पर कड़ी कार्रावाई की जाएगी. 

जनजातीय संगठनों ने सड़कें खोलने से इंकार किया

मणिपुर में एक जनजातीय संगठन ने मैतेई बहुल इंफाल घाटी को देश से जोड़ने वाली सभी सड़कों पर आवाजाही को सुगम बनाने के केंद्र के प्रयास को चुनौती देने का फैसला किया है. गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर प्रशासन को यह निर्देश दिया था कि 8 मार्च से राज्य की सभी सड़कों पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की जाए.

इंफाल घाटी के आसपास की पहाड़ियों से दो मुख्य राजमार्ग और लगभग सभी अन्य सड़कें गुजरती हैं. इन पहाड़ियों पर कुकी-ज़ो समुदाय के लोग बसे हैं.  

दरअसल, 1 मार्च को मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर पहली उच्च स्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिया कि 8 मार्च से राज्य की सभी सड़कों पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की जाए. गृहमंत्री ने रास्ते खोलने के काम में अड़चन पैदा करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा है.

वहीं जनजातीय एकता समिति (COTU) ने कुकी-ज़ो लोगों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग पूरी होने तक मुक्त आवागमन की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया.

COTU ने कहा कि कुकी-जो इलाकों में तब तक मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक समुदाय की आकांक्षाओं का सम्मान करने वाला कोई समाधान नहीं निकल जाता.

मणिपुर में कुक-ज़ो समुदाय के लोग अपने लिए भारतीय संविधान के तहत एक अलग स्वायत्त क्षेत्र मांग रहे हैं. 

3 मार्च को कांगपोकपी जिले के फैजांग गांव कब्रिस्तान में आयोजित एक कार्यक्रम में सीओटीयू के महासचिव लामिलुन सिंगसिट ने कहा कि कुकी-ज़ो समुदाय तब तक न तो चैन से बैठेंगे और न ही आत्मसमर्पण करेंगे, जब तक किसी भी कीमत पर अलग प्रशासन हासिल नहीं हो जाता.

उन्होंने कहा, “अलग प्रशासन के लिए लड़ाई लगातार जारी रहेगी. हम हर लोकतांत्रिक तरीके से लामबंद होंगे, विरोध करेंगे और प्रतिरोध करेंगे.”

मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा हो रही है. इस हिंसा में दोनों समुदायों के 280 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं.

राज्य में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. 

हिंसा की आशंका

मणिपुर में प्रशासन ने बेशक मैतई समुदाय की तरफ़ से प्रस्तावित मार्च को अनुमति देने से इंकार कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद हिंसा की आशंका बनी हुई है.

क्योंकि प्रशासन की बात को मैतई समुदाय के लोग मान लेंगे इस बात में संदेह है.

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