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नरसिंहपुर में आदिवासी महिला से दुर्व्यवहार, कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी

महिला और उसके परिवार ने इस मामले की शिकायत पुलिस थाने में की थी, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले के तेंदूखेड़ा क्षेत्र  में आदिवासी समाज ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

इस बार नाराजगी का कारण है एक आदिवासी महिला के साथ हुई अभद्रता और उस पर अब तक हुई लापरवाही है.

आदिवासी समाज का कहना है कि घटना को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक न तो आरोपी को गिरफ्तार किया है और न ही कोई सख्त कार्रवाई की है.

इस मामले में आदिवासी समाज के सैकड़ों लोगों ने पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय पहुँच कर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा.

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के ज़िला उपाध्यक्ष संतोष पटेल ने एक आदिवासी महिला के साथ ना सिर्फ बदतमीजी की, बल्कि धमकी भी दी.

महिला और उसके परिवार ने इस मामले की शिकायत पुलिस थाने में की थी, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.

आदिवासी समाज ने इस लापरवाही पर नाराज़गी जाहिर की और कहा कि अगर आम आदमी पर आरोप होता तो पुलिस अब तक गिरफ्तारी कर चुकी होती.

लेकिन आरोपी एक राजनैतिक पार्टी से जुड़ा व्यक्ति है, इसलिए उसे बचाया जा रहा है.

उनका कहना है कि कानून सबके लिए समान होना चाहिए, चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो.

इस विरोध के दौरान कई सामाजिक संगठनों, युवाओं और महिलाओं ने भी हिस्सा लिया.

उन्होंने हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर नारेबाज़ी की और प्रशासन को चेताया कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे.

विरोध के बाद खबर आई कि आरोपी संतोष पटेल ने भाजपा जिला उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है.

हालांकि आदिवासी समाज का कहना है कि इस्तीफा देना पर्याप्त नहीं है, जब तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाता, वे संतुष्ट नहीं होंगे.

समाज के नेताओं ने यह भी कहा कि वे इस मामले को राज्य स्तर तक ले जाएंगे और मुख्यमंत्री, गृह मंत्री व अनुसूचित जनजाति आयोग तक शिकायत पहुंचाएंगे.

उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाएं भी देश की नागरिक हैं और उनके साथ अन्याय हुआ तो पूरी जनजाति सड़क पर उतर आएगी.

यह पहली बार नहीं है जब किसी आदिवासी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार हुआ हो.

अक्सर ऐसे मामलों में कार्रवाई धीमी होती है, जिससे पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता.

इसी वजह से समाज में असंतोष बढ़ता है और प्रशासन पर भरोसा टूटता है.

पुलिस प्रशासन ने अब तक इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन समाज का दबाव लगातार बढ़ रहा है.

अब देखना होगा कि पुलिस आगे क्या कदम उठाती है – क्या आरोपी की गिरफ्तारी होगी? क्या महिला को न्याय मिलेगा? या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

आदिवासी समाज ने साफ कहा है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन जरूरत पड़ी तो बड़ा जन आंदोलन भी खड़ा करेंगे.

उनका कहना है कि यह सिर्फ एक महिला की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की अस्मिता का सवाल है.

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