गुरुवार को तौरूर पुलिस द्वारा मलोत सुरेश बाबू नामक एक आदिवासी युवक को पीटने की एक घटना सामने आई है. मलोत सुरेश बाबू पलाकुर्ती विधानसभा क्षेत्र के तौरूर मंडल के सन्नूरू गांव का रहने वाला है.
मलोत सुरेश के परिवारवालों ने बताया है कि उसने सोशल मीडिया पर क्षेत्र के कांग्रेस विधायक के निजी सहायक की आलोचना की थी.
विपक्षी दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. इसके साथ ही संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ फौरन कार्यवाही की मांग की.
बताया गया है कि विधायक यशस्विनी रेड्डी के कार्यालय से एक फोन आने के बाद पुलिस ने मलोत सुरेश को पुलिस स्टेशन बुलवाया और उसकी पिटाई की थी.
पीड़ित की माँ ने आरोप लगाते हुए कहा कि वे जानना चाहती हैं कि उनके बेटे ने क्या अपराध किया है? क्या उसने कोई चोरी की है या किसी को परेशान किया है?
उन्होंने कहा कि वह सिर्फ़ राजनीति के ज़रिए लोगों की सेवा कर रहा है, लेकिन सब-इंस्पेक्टर ने सरकार से सवाल करने पर उसके साथ बुरा व्यवहार किया और उसकी पिटाई भी की.
उन्होंने पूछा क्या सरकार से सवाल करना कोई अपराध है. उन्होंने कहा कि सुरेश बाबू को अपनी चोटों के लिए इलाज करवाना पड़ा.
बीआरएस के अध्यक्ष टी रामा राव ने हाल ही में घटित इस तरह की घटनाओं पर बेहद दुख ज़ाहिर किया है.
सुरेश बाबू की परेशान करने वाली घटना पर उन्होंने कहा कि तौरुर पुलिस ने एक आदिवासी युवक को उठा लिया और उसे प्रताड़ित किया.
उन्होंने कहा उसका अपराध सिर्फ इतना था कि उसने स्थानीय विधायक यशस्विनी रेड्डी के निजी सहायक की आलोचना करते हुए एक व्हाट्सएप संदेश पोस्ट कर दिया था.
रामा राव ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट से संबंधित शिकायतों के आधार पर बीआरएस कैडर के घरों पर छापेमारी करना पुलिस की प्रवृत्ति बन चुकी है.
उन्होंने इस मामले में डीजीपी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि वे राज्य पुलिस के सम्मान को मिट्टी में न मिलने दे और ऐसे पुलिसकर्मियों पर तुरंत कार्यवाही करे.
इसी बीच लम्बाडी अधिकार संघर्ष समूह ने एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत विजेंद्र रेड्डी की गिरफ्तारी की मांग की.
इस समूह के प्रदेश अध्यक्ष ने भी ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार कार्यवाही शुरू नहीं करती तो वे न्याय के लिए आंदोलन शुरू करेंगे.