मध्य प्रदेश सरकार ने सोमवार को एक 28 वर्षीय आदिवासी युवक की पुलिस हिरासत में मौत होने के बाद न्यायिक जांच का आदेश दिया.
यह जानकारी मिली है कि पुलिस ने जब युवक को हिरासत में लिया उस वक्त वह अपनी बारात लेकर जा रहा था.
पुलिस ने उसे रविवार शाम को गुना ज़िले के बिलाखेड़ी गांव में उसके घर से पकड़ा था.
पुलिस के हिरासत में लेने के कुछ घंटो बाद ही उसकी मृत्यु हो गई. पुलिस ने चोरी के आरोप में आदिवासी युवक को हिरासत में ले लिया था.
पुलिस का कहना है कि दिल का दौरा पड़ने से इस युवक की मौत हो गई. लेकिन उसके परिजनों का आरोप है कि उसकी मृत्यु पुलिस हिरासत में दी गई यातनाओं के कारण हुई है.
आदिवासी युवक की मृत्यु के बाद उसकी होने वाली दुल्हन और उसकी चाची ने पुलिस थाने के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की. इसके बाद पुलिसवालों ने उन्हें रोका और गुना ज़िला अस्पताल में भर्ती करवाया.
आदिवासी युवक की चाची सुरजा पारधी ने बताया कि देवा पारदी ने शेरवानी पहनी हुई थी और शादी की बारात लेकर गोकुल सिंह चौक जाने वाले था.
लेकिन इससे पहले ही शाम 4:30 बजे पुलिस उनके गांव पहुंची और दूल्हे और उसके चाचा को अपने साथ ले गई.
युवक की चाची सुरजा पारधी ने यह भी बताया कि बाद में परिवार के लोग भी पीछे-पीछे झागर पुलिस चौकी पहुंचे थे.
पुलिस ने उन्हें बताया कि एक गाड़ी बरामद करनी है इसलिए इन दोनों को लेकर आए हैं और परिवार वालों को वापस भेज दिया था.
पुलिस अधीक्षक मान सिंह ठाकुर ने बताया कि देवा पारधी और गंगाराम पारधी को भीदरा गांव में 8 लाख रुपए की चोरी के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था.
ठाकुर ने बताया कि दोनों को चोरी के गहने बरामद करने के लिए रविवार शाम को हिरासत में लिया गया था. लेकिन देवा को सीने में दर्द महसूस हुआ. जिसके बाद उसे म्याना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. ज़िला अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
पुलिस महानिरीक्षक अरविंद सक्सेना ने मीडिया को बताया कि देवा पारधी नामक एक 25 वर्षीय युवक को रविवार को पूछताछ के लिए लाया गया था.
अरविंद सक्सेना ने कहा कि देवा पारधी पर पहले से ही डकैती, चोरी और हत्या के प्रयास जैसे अपराधों का रिकॉर्ड था.
अरविंद सक्सेना ने यह भी बताया पूछताछ के दौरान देवा पारधी ने पुलिस को बताया कि उसकी तबीयत खराब हो रही है जिसके बाद उसे अस्पताल ले गए लेकिन वहां उसकी मौत हो गई.
अरविंद सक्सेना ने कहा कि आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई. इसलिए भारतीय न्याय संहिता के प्रावधान के तहत न्यायिक जांच की जा रही है और पंचनामा किया गया है.
उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी.
मौत के कारण के बारे में सवाल पूछे जाने पर पुलिस का कहना है कि आरोपी का पोस्टमार्टम कराया गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारण का पता चल पाएगा.
कौन है पराधी आदिवासी?
पारधी का शाब्दिक अर्थ शिकारी होता है. ये शिकारी आदिवासी मध्य भारत के जंगलों में रहते हैं. एक समय पर इस जनजाति को वनों का बच्चा माना जाता था.
लेकिन जब आदिवासियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया, उस समय अंग्रेज़ी सरकार ने करीब 150 जनजातियों को आपराधिक जनजाति घोषित कर दिया. 1871 में आपराधिक जनजातियों में शामिल की गई इन जनजातियों में एक जनजाति पारधी भी थी.
उसके बाद 80 साल तक, इन आदिवासियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत गिरफ्तार किया जाता रहा. इन्हें समाज से अलग-थलग कर दिया गया और गाँव की सीमा के बाहर शिविरों में रहने के लिए मजबूर किया गया.
तब से ये अत्यंत गरीबी और सामाजिक भेदभाव का शिकार हैं.
1952 में इस अधिनियम को निरस्त कर दिया गया और इन समुदायों को विमुक्त कर दिया गया. लेकिन समाज से अलग रहने के कारण इन समुदायों के लिए इस कानून के खतम होने का कोई अर्थ नहीं है.
ये समुदाय आज भी सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना कर रहे हैं. क्योंकि ये अत्यंत गरीब जनजाति है, इसलिए आज भी यदि इनके आस-पास कोई अपराध होता है तो पुलिस सबसे पहले इन पर ही शक करती है.