HomeAdivasi Dailyअसम में आदिवासी भूमि को कॉर्पोरेट को देने के खिलाफ विरोध

असम में आदिवासी भूमि को कॉर्पोरेट को देने के खिलाफ विरोध

सरकार ने करबी आंगलोंग ज़िले के खातखटी इलाके में 18,000 बीघा ज़मीन कॉर्पोरेट को देने का फैसला किया है. यहां सोलर पावर प्रोजेक्ट बनाया जाना है. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ़ आदिवासी समुदायों ने तेज़ किया प्रदर्शन.

असम में आदिवासी ज़मीन कॉर्पोरेट को सौंपने के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है. शुक्रवार को गुवाहाटी में सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे. यह प्रदर्शन राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ था.

सरकार ने करबी आंगलोंग ज़िले के खातखटी इलाके में 18,000 बीघा ज़मीन कॉर्पोरेट को देने का फैसला किया है. यहां सोलर पावर प्रोजेक्ट बनाया जाना है. इस परियोजना के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) फंडिंग कर रहा है. इसे असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) के ज़रिए लागू किया जाएगा.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस परियोजना से हजारों पेड़ कटेंगे, आदिवासी समुदाय की आजीविका पर खतरा आएगा और कई गांवों के लोग विस्थापित होंगे.

प्रदर्शनकारियों ने करबी आंगलोंग में 50,000 बीघा ज़मीन पर बनने वाले CBG (कंप्रेस्ड बायोगैस) प्लांट का भी विरोध किया.

यह ज़मीन भी पारंपरिक आदिवासी क्षेत्र में आती है. लोगों का आरोप है कि इन परियोजनाओं से पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा.

प्रदर्शन का नेतृत्व ‘कार्बी आंगलोंग सौर ऊर्जा परियोजना प्रभावित जन अधिकार समिति’ और ‘संयुक्त भूमि संघर्ष समिति, असम’ जैसे संगठनों ने किया. इन संगठनों ने सरकार से मांग की कि इन दोनों परियोजनाओं को रद्द किया जाए.

प्रदर्शन के दौरान कई नारे लगे. प्रदर्शनकारियों के पोस्टर पर कई बाते लिखीं थीं. पोस्टर्स पर लिखा था कि “प्रिय मुख्यमंत्री हिमंता, हमारी ज़मीन आपका खेल का मैदान नहीं है.”, “हमें CBG प्रोजेक्ट नहीं चाहिए”, “हमारे जंगल बिकाऊ नहीं हैं”, “सोलर प्रोजेक्ट = आदिवासी शोषण”

प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नाम ज्ञापन भी सौंपा. इसमें मुख्य मांगें थीं कि 18,000 बीघा ज़मीन पर सोलर पावर प्रोजेक्ट तुरंत रद्द किया जाए. इससे 24 गांवों के 20,000 लोग प्रभावित होंगे और 50,000 बीघा ज़मीन पर बनने वाला CBG प्लांट भी रद्द किया जाए. इसे “पर्यावरणीय नरसंहार” बताया गया.

राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि सरकार के अधिकारी प्रभावित इलाकों में जाने के बजाय गुवाहाटी में बैठे हैं. उन्होंने करबी आंगलोंग के मुख्य कार्यकारी सदस्य (CEM) पर भी आदिवासी हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया.

संयुक्त भूमि संघर्ष समिति के संयोजक सुभ्रत तालुकदार ने कहा कि आदिवासी इलाकों की जमीन कॉर्पोरेट को देना गलत है.

उन्होंने मांग की कि आदिवासियों को उनकी ज़मीन का अधिकार दिया जाए.

‘कार्बी आंगलोंग सौर ऊर्जा परियोजना प्रभावित जन अधिकार समिति’ के सलाहकार प्रणब डोले ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने एडीबी को गलत जानकारी दी.

सरकार ने बताया कि परियोजना से केवल 1,200 लोग प्रभावित होंगे, जबकि असल में 20,000 लोग प्रभावित होंगे.

डोले ने आरोप लगाया कि सरकार ने 7,000 करोड़ रुपये का लोन पाने के लिए यह झूठ बोला.

उन्होंने कहा कि परियोजना से जंगल, खेती की जमीन और वन्यजीवों को भी भारी नुकसान होगा.

प्रणब डोले ने चेतावनी दी कि यह प्रोजेक्ट आदिवासी समुदायों को उजाड़ देगा. साथ ही पर्यावरण का संतुलन भी बिगाड़ेगा.

प्रदर्शनकारियों ने एशियन डेवलपमेंट बैंक से अपील की कि वह इस परियोजना के लिए फंडिंग बंद करे.

उन्होंने कहा कि एडीबी को संयुक्त राष्ट्र के आदिवासी अधिकारों से जुड़े सिद्धांतों का पालन करना चाहिए.

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा.

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