HomeAdivasi Daily'हिरण के मांस' के नाम पर आदिवासी युवक को फँसाने वाले अधिकारी...

‘हिरण के मांस’ के नाम पर आदिवासी युवक को फँसाने वाले अधिकारी सस्पेंड हुए

वरिष्ठ अधिकारियों की जाँच में पता चला है कि आदिवासी लड़के के ऑटो में धोखे से मांस रख कर उसे फँसाया गया था. वन अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि इस लड़के के ऑटो से जंगली हिरण का मांस बरामद हुआ है.

केरल के इडुक्की में एक आदिवासी युवक को फ़र्ज़ी केस में फँसा कर गिरफ्तार करने के मामले में वन विभाग के 6 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया. सरिन साजीमोन नाम के आदिवासी युवक को 20 सितंबर को ग़िरफ्तार किया गया था. 

वन विभाग के कर्मचारियों ने इस आदिवासी लड़के पर हिरण का मांस बेचने का आरोप लगाया था. इस मामले में आदिवासी लड़के के परिवार और आदिवासी संगठनों ने पुलिस से शिकायत की थी.

इसके बाद इस पूरे मामले की जाँच की गई. चीफ़ फ़ॉरेस्ट कंज़रवेटर अरूण आरएस ने दोषी अधिकारियों को निलंबित करते हुए आदेश में लिखा है कि इस आदिवासी लड़के को ज़बरदस्ती फँसाया गया है.

उन्होंने बताया है कि इस आदिवासी लड़के के ऑटो में वन विभाग के एक कर्मचारी ने ही मांस रखा था. इस मामले में इडुक्की के रेंज अधिकारी ने इस अपराध की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था. क्योंकि उन्हें इस बात का अनुमान हो गया था कि इस आदिवासी लड़के को फँसाया गया है.

इस मामले में हुई जाँच में पता चला है कि वन अधिकारी अनिल कुमार ने इस लड़के को फँसाने के लिए धोखे से उसके ऑटो में मीट रखवाया था. वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले की जाँच में पाया कि आदिवासी लड़के की गिरफ़्तारी के मामले में कई अधिकारी शामिल थे.

इस आदिवासी युवक की गिरफ़्तारी के बाद उसके परिवार के लोग भूख हड़ताल पर थे. इस मामले में विरोध प्रदर्शन के बाद कुछ अधिकारियों का तबादला भी किया गया था. लेकिन आदिवासी संगठनों और परिवार ने इस मामले में निष्पक्ष जाँच की माँग नहीं छोड़ी.

अंततः इस मामले में प्रशासन को दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी पड़ी. जिस आदिवासी लड़के पर हिरण के मांस बेचने का आरोप लगा है उसकी उम्र 24 साल बताई गई है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वन विभाग के अधिकारियों ने उसके साथ काफ़ी मारपीट की थी. उसके बाद इस लड़के को फँसाने के लिए ऑटो में हिरण का मांस प्लांट किया गया था.

इस तरह के मामलों में नियमों के तहत रेंज ऑफ़िसर की रेंक के उपर के अधिकारी माहासर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं. लेकिन इस आदिवासी लड़के से जुड़ी रिपोर्ट पर एक फॉरेस्ट रेंजर ने ही साइन किया है. 

आदिवासी लड़के के परिवार के लोगों का कहना है कि इस घटना में जब इस लड़के को गिरफ़्तार किया गया था तो रेंज ऑफ़िसर वहाँ आए थे. लेकिन उन्होंने रिपोर्ट साइन नहीं की क्योंकि उन्हें शायद यह पता था कि मामला सच नहीं है.

परिवार ने यह भी बताया है कि इस लड़के के ऑटो से बरामद बताए जा रहे मांस की जाँच भी अभी तक नहीं हुई है. इसलिए अभी तक यह नहीं पता है कि यह मांस जंगली हिरण का ही है या फिर किसी और जानवर का है.

हालाँकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में तय प्रक्रिया का पालन किया गया है. वन विभाग ने कहा है कि इस मामले की जाँच में सच सामने आ जाएगा. उधर आदिवासी संगठनों का कहना है कि सरिन ऑटो चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है.

लेकिन कई दिनों से उसका ओटो वन विभाग के क़ब्ज़े में है. उसके परिवार का कहना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments