तेलंगाना सरकार ने राजन्ना सिरसिला ज़िले की आदिवासी छात्रा बदावत मधुलता की पढ़ाई जारी रखने के लिए डेढ़ साथ रुपए की मदद का ऐलान किया है.
मुख्यमंत्री की तरफ़ से यह ऐलान किया गया है. लेकिन मुख्यमंत्री ने एक अच्छा काम करते हुए टोके जाने की गुंजाईश भी छोड़ दी है.
दरअसल इस आदिवासी लड़की को कम से कम तीन लाख रुपए की ज़रूरत है. लेकिन मुख्यमंत्री ने आधी रकम का ही वादा किया है.
आदिवासी छात्रा बदावत मधुलता ने आर्थिक तंगी के बावजूद JEE परीक्षा की तैयारी में कड़ी मेहनत की. इसके फ़लस्वरूप उसने परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया और एसटी कैटिगरी में 824 रैंक हासिल की.
यह रैंक पाने के बाद उसे आईआईटी पटना में जगह मिली. लेकिन वहां के छात्रावास और दूसरे खर्चों के लिए उसे 27 जुलाई तक पटना आईआईटी संस्थान में 3 लाख रुपये जमा करने थे.
इस लड़की के परिवार की आर्थिक हैसियत इतनी नहीं है कि वह अपनी बच्ची का यह ख़र्च वहन कर सके.
अपने परिवार की आर्थिक स्थिति से परिचित मधुलता ने आईआईटी में प्रवेश पाने का सपना लगभग छोड़ दिया था.
उसने अपनी बाकी दोनों बहनों के साथ बकरियां चराना और गांव में एक छोटी सी जमीन पर खेती करके परिवार की मदद करना शुरु कर दिया था.
इसके बाद कई समाचार रिपोर्ट्स में इस छात्रा की दुर्दशा को उजागर किया गया. उनकी ये कहानी सोशल मीडिया पर भी खूब तेज़ी से फैल गई.
जब यह जानकारी तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को मिली तो उन्होंने एक्स पर ट्वीट कर उनकी मदद करने की घोषणा की है.
उन्होंने सबसे पहले कठिन परिस्थितियों का सामना कर प्रतिष्ठित संस्थान में सीट हासिल करने के लिए उसे बधाई दी.
इसके बाद उन्होंने बताया कि आदिवासी विकास मंत्रालय के माध्यम से उनकी पढ़ाई जारी रखने के लिए आवश्यक राशि को मंज़ूरी दे दी गई है और भविष्य में इसी तरह आगे बढ़ते रहने की कामना की.
इसके साथ ही उन्होंने आदिवासी कल्याण आयुक्त (Tribal Welfare Commissioner) वी. सर्वेश्वर रेड्डी द्वारा जारी आदेश की प्रति भी साझा की, जिसमें छात्र को 1,51,831 रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई.
हालांकि आदिवासी छात्रा को दाखिला पाने के लिए अभी भी 1.5 लाख रूपये की ज़रूरत है क्योंकि सरकार 1.5 लाख रूपये देने का आदेश जारी किया है जबकि इस छात्रा को प्रवेश पाने के लिए कुल 3 लाख रूपयों की आवश्यकता है.
इससे पहले बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के तारक रामा राव ने भी आदिवासी छात्रा की सहायता करने का आश्वासन दिया था.