आज भी देश के ऐसे कई गांव मौजूद है जहां तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. जिसके कारण ऐसी जगहों में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना पड़ता है.
ऐसी जगहों पर कई बार एम्बुलेंस पहुंचने के रास्ता ना होने के कारण लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है.
ऐसा ही एक मामला केरल से सामने आया. जिसमें कल केरल उच्च न्यायालय ने राज्य को यह आदेश दिया है कि वह नीलांबुर तालुक के गांवों में आदिवासी परिवारों के लिए पर्याप्त संख्या में शौचाएलय और पीने के पानी की सुविधाएं मुहैया कराए.
इस आदेश में यह कहा है कि केरल के नीलांबुर (Nilambur) शहर में स्थित पोतुगल (Pothugal), वझिक्कादावु (Vazhikkadavu) और करुलाई (Karulai) गांवों में आदिवासी परिवारों के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय और पीने के पानी की सुविधाएं मुहैया कराई जाए.
क्योंकि इन सब गावों में रहने वाले आदिवासियों को साल 2018 से 2019 के बीच आई विनाशकारी बाढ़ के कारण बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को आदिवासी बस्तियों को जोड़ने वाले पुलों के निर्माण की शुरुआत के विवरण के बारे में सूचना देने का भी आदेश दिया है.
इस निर्माण कार्य के लिए पहले ही 5 करोड़ रुपियों की धन राशि की स्वीकृत दि जा चुकी हैं.
यह पुल चालियार (Chaliyar ) और पुन्नपुझा (Punnapuzha) पर बनने वाला है. जो आदिवासियों बस्तियों को शहर से जोड़ेगा.
इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश ऐजे देसाई (Chief Justice AJ Desai) और न्यायमूर्ति वीजी अरुण (Justice VG Arun) की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश तब जारी किया जब सरकार ने 17 अगस्त 2023 के कोर्ट के पिछले निर्देश का पूरी तरह से पालन नहीं किया क्योंकि इससे पहले कोर्ट ने अपने एक आदेश में इन वंचित समुदायों को पर्याप्त संख्या में जैव-शौचालय (bio-toilets) और स्वच्छ पेयजल (clean drinking water) सुविधाएं देने को अनिवार्य किया था.
जिसकी याचिका अदालत में दर्ज कराई गई थी और यह याचिका नीलांबुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष आर्यदान शौकत (former Nilambur Municipality chairman, Aryadan Shoukath) और एक समाज सेवेक जो की पोतुगल ग्राम पंचायत के वानियमपुझा कॉलोनी (social worker residing in Vaniampuzha Colony of Pothugal grama panchayat) में रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मिलकर दर्ज कराई है.
इस याचिका में यह आरोप लगाया गया है की यहां मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है.
इसके साथ ही इस याचिका के कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को यह बताया था कि क्षेत्र में एक ई-शौचालय सुविधा स्थापित की गई थी. लेकिन इसमें पानी का अभाव था. जिससे लगभग 300 परिवार प्रभावित हुए है.
इन सब बातों को सुनने के बाद अदालत ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार पिछले निर्देशों के अनुपालन की पुष्टि करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करे.
इसके साथ ही यह भी आदेश दिया है की यह सभी काम अदालत की अगली सुनवाई तक पूरे हो जाने चाहिए. जो की 19 अक्टूबर को होने वाली है.

