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टिपरा मोथा प्रमुख ने दिल्ली में केंद्रीय जनजातीय मंत्री से मुलाकात कर आदिवासी परिषद के लिए मदद मांगी

त्रिपुरा के लोगों द्वारा लगातार हो रहे आंदोलनों के बाद भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के के तहत भारतीय संसद द्वारा त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) अधिनियम 1979 पारित किया गया था.

टिपरा मोथा (Tipra Motha) के प्रमुख प्रद्युत किशोर माणिक्य देबबर्मा (Pradyot Kishore Manikya Debbarma) ने बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव से मुलाकात कर त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council) के लिए और अनुदान की मांग की.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में शामिल हुई टिपरा मोथा टीटीएएडीसी बोर्ड का संचालन करती है.

देबबर्मा ने फेसबुक पर लिखा, “सी.के जमातिया और त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती कीर्ति देवी देबबर्मा के साथ गुरुवार को दिल्ली में आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल उरांव से मुलाकात की.”

उन्होंने कहा, “त्रिपुरा पहले एक मूल निवासी/आदिवासी राज्य हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ साल में विभिन्न कारणों से हम आदिवासी अपनी ही भूमि पर अल्पसंख्यक बन गए हैं. मैंने उनसे टीटीएएडीसी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने का अनुरोध किया है.”

त्रिपुरा की टिपरा मोथा पार्टी के चीफ़ प्रद्योत किशोर माणिक्य इस समय दिल्ली में हैं. उन्होंने उत्तर पूर्व इलाके के विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी से भी मुलाकात की.

उन्होंने कहा DoNER (डिवेलपमेंट ऑफ नॉर्थ ईस्ट रीजन) मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया से मिलकर उन्हें त्रिपुरा की मूल जनजातियों की समस्या से अवगत कराया. खास तौर पर छठीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में होने वाली समस्याओं से..

एक और पोस्ट कर प्रद्योत किशोर माणिक्य ने बताया कि उन्होंने ज्योतिरादित्य को उन योजनाओं के बारे में बताया जो टीटीएएडीसी में लागू की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि यह मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि इन परियोजनाओं का सामाज पर क्या और कैसा असर पड़ेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस दौरान केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी से भी मुलाकात की और इस बात पर चर्चा की कि उनके मंत्रालय के माध्यम से टीटीएएडीसी को किस तरह लाभ हो सकता है और क्या संभावित नए अवसर हैं. केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने उन्हें पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया है.

कैसे हुई थी टीटीएडीसी की स्थापना?

त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) भारत के त्रिपुरा राज्य की एक स्वतंत्र परिषद है जो जनजातीय इलाकों में प्रशासन संभालती है. इसका कार्यालय राज्य की राजधानी अगरतला से 26 किलोमीटर दूर एक शहर खुमुलवंग में है.

त्रिपुरा के लोगों द्वारा लगातार हो रहे आंदोलनों के बाद भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के के तहत भारतीय संसद द्वारा त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) अधिनियम 1979 पारित किया गया था.

लेकिन यह वास्तव में 18 जनवरी 1982 से अस्तित्व में आया और बाद में इसे भारत के संविधान में 49वें संशोधन द्वारा 1 अप्रैल 1985 से भारतीय संविधान की 6वीं अनुसूची के प्रावधान में जोड़ा गया था.

इस परिषद की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य स्वदेशी लोगों को खुद पर शासन करने के लिए सशक्त बनाना और पिछड़े लोगों का चहुंदिसी विकास करना है ताकि उनकी संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं की रक्षा की जा सके.

टीटीएएडीसी का कुल क्षेत्रफल 7,132.56 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल क्षेत्र का लगभग 68 फीसदी है.

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