HomeAdivasi Dailyहज़ारों का बिजली बिल देकर आदिवासी परिवारों का कनेक्शन काटा

हज़ारों का बिजली बिल देकर आदिवासी परिवारों का कनेक्शन काटा

आंध्र प्रदेश के डोलावनीपालेम गांव के सात आदिवासी परिवार सिर्फ दो बल्ब और एक पंखा चलाने के बाद भी हज़ारों का बिल पाकर अंधेरे में जीने को मजबूर

आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली ज़िले के रविकमथम मंडल के टी. अज्जापुरम पंचायत के अंतर्गत आने वाले डोलावनीपालेम गांव के सात आदिवासी परिवार इन दिनों बड़ी परेशानी में हैं.

इन परिवारों का कहना है कि उन्होंने घरों में सिर्फ़ दो बल्ब और एक पंखा ही इस्तेमाल किया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें हज़ारों रुपये के बिजली बिल थमा दिए गए.

बिल इतना ज़्यादा आया कि परिवारों के पास चुकाने का कोई साधन नहीं था और आखिरकार बिजली विभाग ने उनका कनेक्शन काट दिया.

परिवारों का कहना है कि अचानक से इतने ज़्यादा बिल आना न तो समझ में आता है और न ही न्यायसंगत है.

एक कोंडा डोरा परिवार को 28 हज़ार रुपये का बिल दिया गया, जबकि जी. नागराजू पर 12 हज़ार रुपये का चार्ज लगाया गया.

इसके अलावा डोला ईश्वर राव को 7,049 रुपये, लोकाला ईश्वर राव को 5,481 रुपये और रागा, डोला पांडुराजू तथा गोटुरी कुल्लप्पा को करीब 5,000 रुपये का बिल थमाया गया.

इतनी बड़ी रकम चुकाने में असमर्थ इन परिवारों ने विरोध जताया और जलते मशाल हाथ में लेकर धरना भी दिया.

इन परिवारों का का कहना है कि बिजली अधिकारियों से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और बिना किसी नोटिस के कनेक्शन काट दिए गए.

आदिवासी परिवारों का गुस्सा इसलिए भी जायज़ है क्योंकि राज्य सरकार की नीति के अनुसार दलित और आदिवासी परिवारों को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का प्रावधान है.

पहले 100 यूनिट तक मुफ़्त बिजली दी जाती थी. लेकिन जुलाई 2019 में सरकार ने एक आदेश जारी कर, इस सीमा को 100 यूनिट से बढ़ा कर 200 यूनिच करने की घोषणा की थी.

लेकिन यहां तो हालात बिल्कुल उलटे हैं. मुफ्त बिजली मिलना तो दूर केवल दो बल्ब और एक पंखा चलाने से हज़ारों रुपये का बिल आ रहा है.

आदिवासी परिवारों का शक है कि या तो मीटर में गड़बड़ी है या फिर बिलिंग में कोई बड़ी गड़बड़ी हो रही है.

उनका कहना है कि इतने कम उपकरणों के इस्तेमाल के बावजूद इतना बड़ा बिल आना संभव ही नहीं है.

इन आदिवासी परिवारों की मांग है कि उच्च अधिकारी इस पूरे मामले की जांच करें और जल्द से जल्द उनके बिजली कनेक्शन बहाल किए जाएं.

उनका कहना है कि अगर सरकार वाकई आदिवासियों को राहत देना चाहती है तो ऐसे अन्याय पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए.

बिजली रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है. सरकार को जहां आदिवासी इलाकों तक बिजली पहुंचाने में सालों लग जाते हैं, वहीं बिना जांच-पड़ताल किए अचानक कनेक्शन काट देना इन परिवारों के साथ सीधा अन्याय है.

(Image is for representation only.)

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