शुक्रवार को केरल के विधानसभा बैठक में राज्य के शिक्षा मंत्री (Kerala Education Minister) ने बड़ा खुलासा किया है.
उन्होंने बताया कि 2023-24 के शैक्षणिक वर्ष में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लगभग 460 छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, “ राज्य सरकार आदिवासी छात्र-छात्राओं के स्कूल छोड़ने के पीछे कारणों को तलाश करने की कोशिश कर रही हैं.”
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
इसके अलावा किताबों और पाठ्यक्रम में आदिवासी विद्यार्थियों के लिएकई गतिविधियां शामिल की गई है ताकि पढ़ाई में उनकी रुचि बनी रह.
इसके साथ ही विद्यावाहिनी परियोजना के तहत मुफ़्त यातायात सुविधा का भी प्रबंध किया गया है.
जिन आदिवासी कस्बों में परिवहन ज्यादातर आना-जाना नहीं करते, वहां 10 महीनों तक यात्रा सुविधाएं प्रदान की गई.
इन इलाकों में यात्रा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए ₹681.12 लाख (11,352 छात्रों के लिए ₹600 प्रति माह) की राशि आवंटित की गई थी.
वहीं आदिवासी विद्यार्थियों की मदद के लिए आदिवासी समुदाय के शिक्षक को सलाहकार बनाया गया है.
इसके अलावा आदिवासी समाज में उपस्थित सामुदायिक पाठशाला या युवागृह में कई तरह के इंतजाम किए गए हैं ताकि आदिवासी विद्यार्थी शाम के समय आसानी से पढ़ सके.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि जिन छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था या जिन्होंने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया था उनकी पहचान की जाएगी. उन्होंने कहा कि विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में सहायको की मदद से उनके लिए ब्रिजिंग कोर्स आयोजित किया जाएगा.
इस काम के लिए 10 माह के लिए 121.5 लाख रुपये की राशि आवंटित की गयी थी.
केरल में अन्य राज्यों की तुलना में आदिवासियों की स्थिति बेहतर बताई जाती है. इसके साथ ही जिस तरह से राज्य सरकार ने विधान सभा में आदिवासी बच्चों के ड्रॉप आउट पर साफ़गोई से बात रखी है वह तारीफ़ के काबिल बात है.