तेलंगाना में एक आदिवासी किसान हिरिया नाइक को जेल से अस्पताल ले जाते समय हथकड़ी पहनाकर रखने का मामला गरमा गया है.
इस घटना का एक वीडियो वायरल होने के बाद राज्य सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. वीडियो में हिरिया नाइक अस्पताल के बेड़ पर बैठे हुए दिख रहे हैं और उनके हाथ में हथकड़ी लगी हुई है.
इस घटना के बाद समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश देखा जा रहा है और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया जा रहा है.
क्या है पूरा मामला
हिरिया नाइक उन किसानों में शामिल थे, जिन्हें विकाराबाद ज़िले के लगचेरला गांव में एक फार्मा क्लस्टर के निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
किसानों का आरोप था कि सरकार फार्मा क्लस्टर बनाने के लिए उनकी ज़मीनों पर जबरन कब्ज़ा कर रही है और इसलिए वे सभी मिलकर सरकार के इस कदम के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन पुलिस ने हिरिया नाइक समेत कई प्रदर्शनकारियों को हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
जेल में हिरिया नाइक को सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उन्हें संगारेड्डी जेल से अस्पताल ले जाया गया. लेकिन इस दौरान उन्हें हथकड़ी पहनाकर रखी गई जो मानवाधिकारों और जेल नियमावली के खिलाफ है.
यह घटना मानवाधिकारों और जेल नियमावली के खिलाफ तो है ही साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19 का भी उल्लंघन करती है. संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19 देश के सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, सम्मान और गरिमा से जीने का अधिकार देता है.
आदिवासी समुदाय की प्रतिक्रिया
आदिवासी नेताओं और संगठनों ने इसे मानवाधिकार हनन का मामला बताते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने इसे न केवल हिरिया नाइक बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया.
बीआरएस नेता के टी रामाराव का बयान
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के टी रामाराव ने इस घटना को अमानवीय और असंवैधानिक करार दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार जानबूझकर आदिवासी किसानों को निशाना बना रही है. उन्होंने उच्च न्यायालय से अपील की कि वह इस मामले का स्वत: संज्ञान ले. इसके साथ ही उन्होंने राज्यपाल से भी इस मामले की जांच करवाने का अनुरोध किया.
सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं.
इस घटना पर मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगी गई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति के साथ अमानवीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
इस मामले ने सरकारी प्रणाली और मानवाधिकारों के प्रति उसकी जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. यह घटना देश के आदिवासी किसानों के प्रति प्रशासन की संवेदनहीनता को भी दिखाती है.