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आदिवासी परिवारों ने इडमलयार हॉस्टल खाली करने से किया इनकार, कहा पहले तय हो पुनर्वास की योजना

1 नवंबर को राज्य में स्कूल फिर से खुलने वाले हैं, आदिवासी कल्याण विभाग को तालुकंडम और पोंगनचुवडु आदिवासी बस्तियों ने 42 बच्चों के लिए हॉस्टल में रहने की व्यवस्था करनी है. यह सभी बच्चे इडमलयार सरकारी प्राथमिक विद्यालय के छात्र हैं.

अब डेढ़ साल बाद राज्य में स्कूल फिर से खुलने जा रहे हैं, तो केरल के आदिवासी कल्याण और वन विभाग एक बड़ी परेशानी का सामना कर रहे हैं. इडमलयार में आदिवासी हॉस्टल में अस्थायी रूप से रह रहे 12 आदिवासी परिवारों ने वहां से हटने से इनकार कर दिया है.

यह परिवार 5 जुलाई को घने जंगल में स्थित अरकप्पू बस्ती से इडमलयार बांध के पास वैशाली गुफा में चले गए थे, और सड़क संपर्क वाले स्थान पर पुनर्वास की मांग कर रहे थे. परिवारों को अगले दिन वन विभाग द्वारा बेदखल कर दिया गया और अस्थायी रूप से इडमलयार के आदिवासी हॉस्टल में ठहराया गया.

अब जब 1 नवंबर को राज्य में स्कूल फिर से खुलने वाले हैं, आदिवासी कल्याण विभाग को तालुकंडम और पोंगनचुवडु आदिवासी बस्तियों ने 42 बच्चों के लिए हॉस्टल में रहने की व्यवस्था करनी है. यह सभी बच्चे इडमलयार सरकारी प्राथमिक विद्यालय के छात्र हैं.

ऐसे में आदिवासी परिवार जब हॉस्टल की इमारत खाली करने से इनकार कर रहे हैं, तो विभाग ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.

सरकार ने आदिवासी कल्याण, राजस्व और वन विभागों के अधिकारियों की एक टीम को अरकप्पू का दौरा करने और आदिवासी परिवारों की सभी शिकायतों पर एक रिपोर्ट दर्ज करने का काम सौंपा था. इस टीम ने पाया कि अरकप्पू में रहने वाले 42 परिवारों में से केवल 12 ही पुनर्वास की मांग कर रहे हैं.

बस्ती के मुखिया तंकप्पन पंचन समेत 39 लोगों के समूह ने बताया कि भूस्खलन और जंगली जानवरों के बढ़ते हमले से कॉलोनी बेहद असुरक्षित हो गई है. हालांकि, बाकी के परिवार जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं क्योंकि हर परिवार के पास 15 एकड़ ज़मीन है.

पैनल ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें अरकप्पू तक के लिए एक सड़क के निर्माण और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की सिफारिश की गई थी. हालांकि, हॉस्टल मे रह रहे 12 परिवारों का कहना है कि वो अरकप्पू नहीं लौटेंगे.

आदिवासी कल्याण अधिकारी अनिल भास्कर ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अपनी ज़मीन सरेंडर करने वाले आदिवासी परिवारों को नई ज़मीन आवंटित करने का कोई प्रावधान नहीं है. सरकार ने बस्ती तक सड़क बनाने का आश्वासन दिया है, जो उन्हें निर्माण सामग्री लाने और पक्के घर बनाने में मदद करेगी. उन्हें जीवन मिशन के तहत घरों के लिए सरकारी सहायता भी मिल सकती है. हम जबरदस्ती बेदख़ली की योजना नहीं बना रहे हैं, लेकिन हमें उन बच्चों के लिए व्यवस्था करनी होगी जिनकी शिक्षा कोविड की वजह से प्रभावित हुई है, और अब वो हॉस्टल लौटेंगे.”

अक्टूबर 15 की समय सीमा

परिजनों के मुताबिक़ विभाग ने हॉस्टल खाली करने के लिए 15 अक्टूबर की समय सीमा तय की है. परिवार अरकप्पू लौटने को तैयार नहीं हैं. वो अरकप्पू में अपनी जमीन देने के लिए तैयार हैं और कुट्टमपुझा पंचायत की पंतपरा कॉलोनी में भूमि आवंटन की मांग कर रहे हैं.

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