त्रिपुरा के आदिवासी कल्याण मंत्री बिकाश देबबर्मा ने केंद्र सरकार से राज्य में एक ट्राइबल यूनिवर्सिटी स्थापित करने का अनुरोध किया है.
इसके लिए उन्होंने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को तत्काल मंजूरी देने की अपील की है.
अपने पत्र में बिकाश देबबर्मा ने बताया ने लिखा है कि त्रिपुरा की कुल आबादी का लगभग 31 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी है.
लेकिन राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में उच्च शिक्षा की सुविधाएं बेहद सीमित हैं. राज्य में आर्थिक और भौगोलिक चुनौतियों के कारण दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों के छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.
अपने पत्र में उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि इस वजह से राज्य के जनजातीय इलाकों में छात्रों की ड्रॉपआउट दर बढ़ती है. उन्होंने कहा है कि जब पढ़ाई लिखाई के अवसर कम होते हैं तो करियर के अवसर भी सीमित हो जाते हैं।
बिकाश देबबर्मा ने अपने पत्र में प्रस्तावित ट्राइबल यूनिवर्सिटी के चार प्रमुख उद्देश्य बताए हैं —
- समावेशी शिक्षा को बढ़ावा: आदिवासी समुदाय की सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरतों के अनुरूप स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रम.
- आदिवासी धरोहर का संरक्षण: स्वदेशी भाषाओं, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण और संरक्षण का केंद्र.
- कौशल विकास और रोजगार: स्थानीय संसाधनों से जुड़े व्यावसायिक और कौशल आधारित प्रशिक्षण.
- क्षेत्रीय विकास: त्रिपुरा और उत्तर-पूर्वी राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के लिए उच्च शिक्षा का केंद्र.
इस विश्वविद्यालय को खुमुलवंग, अथरामुरा या अम्बासा जैसे केंद्रीय रूप से स्थित आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थापित करने का प्रस्ताव है, जहां राज्य सरकार मुफ्त भूमि और आवश्यक आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराने के लिए तैयार है.
मंत्री देबबर्मा ने कहा, “यह विश्वविद्यालय आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाने और क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में एक एतिहासिक कदम होगा.”
त्रिपुरा के जनजातीय कार्य मंत्री ने इस प्रस्ताव को जल्दी ही स्वीकार कर वित्तीय मदद उपलब्ध कराने की अपील की है.

फिलहाल बिकाश देबबर्मा राजधानी दिल्ली के दौर पर हैं. यहां जनजातीय कार्य मंत्री जुएल उरांव से मुलाक़ात के अलावा उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से भी मुलाकात की है.