भारत के अंडमान और निकोबार( द्वीप समूह की एक अनोखी और ऐतिहासिक जनजाति है – निकोबारी जनजाति (Nicobari tribes). यह जनजाति सिर्फ द्वीपों की निवासी नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन-दर्शन की प्रतीक है.
यह जनजाति की पहचान से प्राकृतिक संतुलन, सांस्कृतिक गहराई और सामूहिकता मजबूती से जुड़ी है.
हाल के वर्षों में इस समुदाय की चर्चा शैक्षिक जगत और सरकार दोनों में बढ़ी है. खासकर जब इनके इतिहास और पूर्वजों की वंश परंपरा के बारे में नए वैज्ञानिक तथ्य सामने आए.
कई एंथ्रोपोलोजिस्ट यह कहते हैं निकोबारी लोग लगभग 11,700 साल पहले निकोबार द्वीपों में बस गए थे और वे भारत के सबसे प्राचीन निवासियों में से हैं.
उधर एक ताजा अध्ययन यह दावा करता है कि निकोबारी लोगों के पूर्वज वास्तव में लगभग 5000 साल पहले दक्षिण-पूर्व एशिया (लाओस और थाईलैंड क्षेत्र) से निकोबार द्वीपों में आए थे.
निकोबारी जनजाति का DNA विशेष रूप से एक जनजाति हतिन माल (जो थाईलैंड में रहती है) से मेल खाता है.
इसका मतलब यह हुआ कि निकोबारी लोग सीधे उसी पूर्वज समूह से आए हैं जिनसे हतिन माल भी निकले हैं.
निकोबारी लोगों की सबसे विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषतओं में से एक है उनकी पारंपरिक झोपड़ी है. इस पारंपरिक झोपड़ी को “निकोबारी हट” कहा जाता है.
यह हट गोल आकार की होती हैं और इन्हें लकड़ी और बाँस के खंभों पर 5 से 7 फीट ऊंचा बनाया जाता है. इसे विशेष तौर पर तूफान, बाढ़ और जानवरों से सुरक्षा के लिए बनाया जाता है.
इस झोंपडी की छत ताड़ के पत्तों से बनी होती है और आधुनिक समय में कुछ जगहों पर एल्युमिनियम शीट्स का भी प्रयोग किया जाता है.
यह हट्स सिर्फ निवास स्थल नहीं बल्कि पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक केंद्र के रूप में कार्य करती हैं.
निकोबारी जनजाति की पारंपरिक वास्तुकला में चार प्रमुख प्रकार की हट्स (झोपड़ियां) शामिल हैं, जो हर घराने और समुदाय की ज़रूरतों को पूरा करती हैं. -:
1. मा पाटी तुहेत (Tuhet) (मुख्य पारिवारिक हट)
यह गोलाकार, गुंबद जैसी हट हर परिवार का मुख्य निवास स्थान होती है जहाँ शाम‑सुबह का जीवन चलता है सोना, जीना और मेहमान. लगभग 20 फीट गोलाई की चौड़ाई और 15‑20 फीट ऊँची यह हट करीब 7 फीट की ऊँचाई पर खंभों पर बनी होती है. ज़मीन से ऊपर उठाए जाने के कारण यहां बाढ़, कीड़े और जंगली जानवरों से सुरक्षा मिलती है. अंदर जाने के लिए फर्श में ट्रैपडोर (फर्श के नीचे का द्वार)होता है और एक बाँस की सीढ़ी ऊपर चढ़ने पर खिंच जाती है.
2. तालिको (विशेष रसोई हट)
तालिको परिवार की रसोईघर हट होती है, जहाँ पूरे परिवार का भोजन तैयार होता है. इसकी डिज़ाइन भी गोलाकार है पर ज़रूरत के हिसाब से लंबी होती है और छत थोड़ा आगे निकलकर दरवाजे को छाया देती है. फर्श से उठाकर बनाया गया तालिको, परिवार की घरेलू ज़रूरतों को पूरा करता है .
3. पाटी योंग न्यिओ (गर्भगृह)
इसकी खासियत यह है कि यह हट गाँव से कुछ दूरी पर तट के पास बनाया जाता है और इसमें महिलाएँ बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय अकेले रहती हैं. यह प्रसव‑गृह हट पारंपरिक विश्वास की वजह से जरूरी है और वहाँ केवल माँ, पिता और नवजात शिशु रहते हैं, फिर एक‑दो महीने बाद वे मुख्य घर आ जाते हैं .
4. पाटी कुपाह (मृत्यु‑गृह)
यह हट भी तट के समीप होता है और इसे विशेष रूप से मृत्यु और उससे जुड़ी धार्मिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग किया जाता है. यहाँ अंतिम संस्कार से पहले मृतकों को रखा जाता है और संबंधित संस्कार सम्पन्न होते हैं—पारिवारिक और धार्मिक संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हट है.
निकोबारी हट आम तौर पर एक संयुक्त परिवार के लिए बनाई जाती है. इसकी गोलाकार बनावट और ऊँचाई पर खंभों पर टिकी संरचना इसे विशेष बनाती है. आमतौर पर, एक हट में 6 से 10 सदस्य आराम से रह सकते हैं. इनमें माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी या अन्य निकट संबंधी शामिल होते हैं.
कुछ अवसरों जैसे ओसुएरी उत्सव (Osuary Festival) या सामूहिक सभाओं के लिए बनाई गई कुछ विशेष सामुदायिक हटों में 100 से 150 लोग बैठ सकते हैं, लेकिन वे केवल अस्थायी आयोजनों के लिए होती हैं न कि नियमित निवास के लिए.
2004 की सुनामी ने इस जनजाति को गंभीर रूप से प्रभावित किया था. सैकड़ों घर उजड़ गए थे, हजारों पेड़ नष्ट हो गए थे और सामाजिक संरचना बिखर गई थी. राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया में सरकार ने पक्के मकान बनाए, पर इससे पारंपरिक हटों की भूमिका कुछ समय के लिए कम हो गई. आज, हालांकि, निकोबारी लोग पुनः अपनी हटों को बनाने में जुटे हैं ये हटें उनके लिए केवल घर नहीं, बल्कि आत्मा का स्थान हैं.