आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के अनंनतगिरी इलाके में आदिवासी महिलाओं ने मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण मंगलवार रात को 2 किलोमीटर लंबी रैली निकाली.
इस रैली में सभी महिलाएं हाथ में मशाल (टॉर्च) लिए नज़र आईं. यह माना जा रहा है कि रात को मार्च करने और हाथ में मशाल लेकर चलने के पीछे उनका उद्देश्य यह दिखाना था कि यहां पर बिजली नहीं है.
उनके हाथ में जो मशाल है वह बिजली के अभाव को दिखाती है. क्योंकि आदिवासियों को किसी भी कारण से जब उन्हें अंधेरे में बाहर जाना पड़ता है तो वे मशालें अपने साथ रखते हैं.
बिजली न होने के कारण यहां सांप द्वारा काटे जाने की घटनाएं बहुत आम हैं. कुछ दिनों पहले ही रायपाडु गांव के ईश्वर राव को एक सांप ने काट लिया था. उस समय वे खाट पर गहरी नींद में सो रहे थे. बाद में जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया तब उनकी मौत हो गई.
इसके अलावा पिछले साल इस बस्ती में एक बाघ घुस आया था और 3 मवेशियों को खा गया था. प्रभावित आदिवासी परिवारों ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने अब तक मवेशियों का मुआवजा नहीं दिया है.
यहां के लोगों के पास बिजली नहीं है, जो इनके लिए एक गंभीर सम्स्या है. इस रैली में बुरिगा और चाइना कोनेला आदिवासी बस्तियों की महिलाओं ने जीवनयापन के लिए ज़रूरी सुविधाओं की मांग की.
इन महिलाओं ने एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (Integrated Tribal Development Agency) के अधिकारियों से उनकी बस्तियों में एक रात के लिए शिविर लगाने की अपील की.
ये महिलाएं चाहती हैं कि आंध्र प्रदेश की ईस्टर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिकारी भी एक रात के लिए इनके गांव में रूके और देखें कि बिजली न होने के कारण उन्हें रोजाना कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
बिजली के अलावा यहां पीने के पानी की भी विकट समस्या है. ग्रामीण जल आपूर्ति (Rural Water Supply) अधिकारियों ने यहां एक बोर बनवाया था. लेकिन बोर के खराब होने पर उन्होंने यह कहकर ठीक नहीं कराया कि यहां बिजली उपलब्ध नहीं है.
बुरिगा और चाइना कोनेला के आदिवासी पीने का पानी इकट्ठा करने के लिए नदियों और अन्य जल धाराओं पर निर्भर हैं.
इस कारण यहां की महिलाओं को रैली निकालने का निर्णय लेना पड़ा. इन महिलाओं का कहना है कि अगर संबंधित अधिकारी उनकी शिकायतों को हल करने के लिए कार्रवाई नहीं करेंगे तो वे कलक्ट्रेट तक जाएंगी.
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जी. रामुलम्मा, कोनापर्थी कोथम्मा और सोमला अप्पलाराजू और सिम्हाचलम ने किया.
इस ज़िले की बुरिगा और चाइना कोनेला आदिवासी बस्तियों में बिजली-पानी जैसी मूल सुविधाएं नहीं हैं. इन दोनों बस्तियों की आबादी 210 है और यहां ज़्यादातर कोंधू आदिवासी रहते हैं.
आंध्र प्रदेश का अलूरी सीताराम राजू ज़िला एक आदिवासी बहुल ज़िला है. यहां की आबादी का 82.67% हिस्सा अनुसूचित जनजाति है.